3821
यूँ ही भटकते
रहते हैं,
अरमान
तुझसे मिलनेके;
न ये दिल
ठहरता हैं,
न
तेरा इंतज़ार रुकता हैं।
3822
आईना आज फिरसे ,
रिश्वत लेता
पकड़ा गया;
दिलमें दर्द था और,
चेहरा हँसता हुआ पकड़ा गया !
3823
तेरी ज़िदसे
तंग होकर,
इस्तीफा
देने चला हैं ये दिल;
कोई इसे समझाओ
की इश्क़में,
फिरसे चुनाव
नहीं होते...
3824
दर्द भी दिलके साथ,
दिल्लगी
करने लगा;
जुदा दिलसे
हुआ और,
गिरने
आँखसे लगा...
3825
तेरे इश्क़का
कैदी बननेका,
अलग
ही मज़ा हैं,
छूटनेको दिल
नहीं करता,
और उलझनेमें मज़ा
आता हैं...