5121
तुझे शायद खबर
नहीं,
मेरे बेइन्तहा मोहब्बत की...
अब बेहतर भी यहीं
है की,
तु बेखबर ही रहे.......!
5122
तुमसे बेहतर तो नहीं
है,
ये नजारे...
तुम जरा आँखसे निकलो,
तो
इन्हें भी देखुँ.......!
5123
तुझे तेरे हालपर छोड़ दिया...
इससे बेहतर तेरी सज़ा
क्या होगी.......
5124
हमेशा समझोता करना सीखो,
क्यूंकि
थोडासा झुक
जाना,
किसी रिश्तेका हमेशाके लिए,
टूट जानेसे
बेहतर है ll
5125
दूसरेकी शर्तोंका,
सुलतान बननेसे बेहतर है;
अपनी ही मौजका,
फ़क़ीर बने
रहना.......