23 April 2020

5766 - 5770 ज़िन्दगी इश्क़ रुस्वा दुःख हमसफ़र जाम जहर दर्द दवा शायरी


5766
ज़िन्दगी हैं चार दिनकी,
कुछ भी ना गिला कीजिये;
दवा जाम इश्क़ या जहर,
जो भी मिले मजा लीजिये !

5767
मेरे दुःखकी कोई,
दवा न करो...
मुझको मुझसे अभी,
जुदा न करो...
सुदर्शन फा़खि़र

5768
काबा भी हम गए,
न गयापर बुतोंका इश्क़ !
इस दर्दकी ख़ुदाके भी घरमें,
दवा नहीं.......!
                           अमीर मीनाई

5769
दोनोंने किया हैं,
मुझको रुस्वा...
कुछ दर्दने और,
कुछ दवाने.......
वहशत रज़ा अली कलकत्वी

5770
ज़िंदगी दर्द भी,
दवा भी थी...
हमसफ़र भी,
गुरेज़ पा भी थी.......
    अमजद इस्लाम अमजद

5761 - 5765 कदर जिंदगी हाल इश्क माहौल मुस्कराहट दुआ दवा शायरी


5761
कदर करना सिख लो,
ना जिंदगी वापस आती हैं,
ना जिंदगीमें आये हुये लोग...
कई बार तबियत दवा लेनेसे नहीं,
हाल पूछनेसे भी ठीक हो जाती हैं...

5762
नींद आनेकी दवाईयाँ हजार हैं;
ना आने के लिए इश्क काफी हैं...!

5763
ऐसे माहौलमें दवा क्या हैं,
दुआ क्या हैं...?
जहाँ कातिलही खुद पूछे की,
हुआ क्या हैं...?

5764
किसी दवासे,
आराम नहीं था हमें;
आपकी मुस्कराहट,
वो काम कर गई...!

5765
हम दोनोंको कोई भी,
बीमारी नहीं हैं...
फिर भी वो मेरी और,
मैं उसकी दवा हूँ.......!

5756 - 5760 प्यार वफ़ा तलाश बेवफा हस्ती खबर दीदार जिक्र तकाजा नादान शायरी



5756
मैं नादान था जो वफ़ाको,
तलाश करता रहा ग़ालिब...
यह सोचा के एक दिन,
अपनी साँस भी बेवफा हो जाएगी...!

5757
संभलकर चल नादान,
ये इंसानोकी बस्ती हैं...
ये रबको भी आजमा लेते हैं,
तेरी क्या हस्ती हैं.......

5758
नादान आईनेको,
क्या खबर...
कि एक चेहरा,
चेहरेके अन्दर भी होता हैं...!

5759
तेरा दीदार तेरा जिक्र,
तुझसे प्यार भरी बातें...
तकाजा ये दिल--नादानका,
सुबह शाम यही रहता हैं.......!

5760
कभी वो मुझे अपना,
तो कभी गैर कहते गये l
देखो मेरी नादानी,
हम सिर्फ उन्हें अपना कहते गये ll

21 April 2020

5751 - 5755 कामयाबी सफ़र धूप आफ़ताब चाँदनी ख़्याल मौसम धूप शायरी



5751
देख तू सबा बनकर,
गर्म धूप भी बनकर देख;
कभी आफ़ताबसा तेज़ तो हो,
कभी चाँदनी बन लिपटकर देख...!

5752
धूप छूती हैं बदनको,
जब शमीम...
बर्फ़के सूरज,
पिघल जाते हैं क्यूँ...
फ़ारूक़ शमीम

5753
कामयाबी--सफ़रमें,
धूप बड़ी काम आई...
छांव अगर होती तो,
सो गये होते.......!

5754
मैं अपने आँगनमें,
बस उतनी ही धूप चाहता हूँ...
जिसमें मेरे ख़्याल,
सूखने पायें...!

5755
धूप सा रंग हैं और,
खुद हैं वो छाँवो जैसा...!
उसकी पायलमें,
बरसातका मौसम छनके...!!!
                         क़तील शिफ़ाई

20 April 2020

5746 - 5750 ज़िंदगी ज़िंदगानी अंजाम इब्तिदा अजनबी कहानी शायरी



5746
आप-बीती कहो,
कि जग-बीती...
हर कहानी,
मिरी कहानी हैं...!
        फ़िराक़ गोरखपुरी

5747
ज़िंदगी क्या हैं,
इक कहानी हैं l
ये कहानी,
नहीं सुनानी हैं ll
जौन एलिया

5748
वो दिन गुज़रे कि जब,
ये ज़िंदगानी इक कहानी थी;
मुझे अब हर कहानी,
ज़िंदगी मालूम होती हैं...
                               निसार इटावी

5749
जिसे अंजाम,
तुम समझती हो...
इब्तिदा हैं,
किसी कहानी की...
सरवत हुसैन

5750
वो एक दिन,
एक अजनबी को,
मिरी कहानी,
सुना रहा था...
                      गुलज़ार

19 April 2020

5741 - 5745 नज़र ख़ामोश फ़साना हैं दुनिया किरदार कहानी शायरी



5741
इक नज़रका,
फ़साना हैं दुनिया...
सौ कहानी हैं,
इक कहानीसे.......!
                नुशूर वाहिदी

5742
ख़ामोश सही मरकज़ी,
किरदार तो हम थे;
फिर कैसे भला,
तेरी कहानीसे निकलते ?
सलीम कौसर

5743
आपकी मेरी,
कहानी एक हैं...
कहिए अब मैं,
क्या सुनाऊँ, क्या सुनूँ...
          मैकश अकबराबादी

5744
सभी किरदार,
थककर सो गए हैं l
मगर अब तक,
कहानी चल रही हैं ll
ख़ावर जीलानी

5745
हर कहानी,
मिरी कहानी थी...
जी बहला,
किसी कहानीसे...!
         साक़ी अमरोहवी

18 April 2020

5736 - 5740 सुब्ह साया मुख रूप मयस्सर पल वक़्त हसरत शजर धूप शायरी


5736
बैठाही रहा सुब्हसे,
मैं धूप ढलेतक...
सायाही समझती रही,
दीवार मुझे भी.......
             शहज़ाद अहमद

5737
धूप ही धूप थी,
इसके मुखपर;
रूप ही रूप,
हवामें उतरा l
नासिर शहज़ाद

5738
मयस्सर फिर होगा,
चिलचिलाती धूप में चलना...
यहींके हो रहोगे,
साएमें इक पल अगर बैठे...
                         शहज़ाद अहमद

5739
सुना हैं धूपको,
घर लौटने की जल्दी हैं;
वो आज वक़्तसे पहलेही,
शाम कर देगी.......
सदार आसिफ़

5740
तमाम लोग इसी हसरतमें,
धूप धूप जले...
कभी तो साया घनेरे,
शजरसे निकलेगा...
                   फ़ज़ा इब्न--फ़ैज़ी

17 April 2020

5731 - 5735 दिल याद करवट धडकन मुश्किल हौसले मुश्किल मेहमान आँख ख्वाब शायरी



5731
दब गई थी नींद,
कहीं करवटोंके बीच;
दरपर खड़े रहें,
कुछ ख्वाब रात भर !

5732
काश तुम्हें ख्वाब ही जाये,
की हम तुम्हे कितना याद करते हैं...!

5733
शोर ना कर धडकन,
जरा थम जा कुछ पलके लिए...
बडी मुश्किलसे मेरी आँखोंमें,
उसका ख्वाब आया हैं.......!

5734
ख़्वाब टूटे हैं,
मगर हौसले तो ज़िंदा हैं l
हम वो शक्स हैं,
जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं ll

5735
दिलमें घर करके बैठे हैं,
ये जो ज़िद्दीसे ख़्वाब...
कागजपें उतार मैं,
वो सारे मेहमान ले आऊँ...!

16 April 2020

5726 - 5730 रंग नफरत दफ़न लहर दीवार रुबारु बरसात बारिश शायरी


5726
होती हैं मुझपर रोज,
तेरी रहमतोंके रंगोंकी बारिश;
मैं कैसे कह दूँ मेरे मालिक,
दिवाली सालमें एक बार आती हैं...!

5727
शुक्र हैं परिंदोको नही पता,
उनकी सरहद और मजहब क्या हैं...
वरना आसमाँसे रोज,
खूनकी बारिश होती.......

5728
अहम डूब जाए,
मतभेदके किले ढह जाए,
घमंड चूर चूर हो जाए,
गुस्सेके पहाड़ पिघल जाए,
नफरत हमेशा के लिए दफ़न हो जाए;
और हम सब,
मैं से हम हो जाए.......

5729
कच्ची दीवारोंको,
पानीकी लहर काट गई...
पहली बारिश ही ने,
बरसातकी ढाया हैं मुझे...
ज़ुबैर रिज़वी

5730
वो मेरे रुबारु आया भी,
तो बरसातके मौसममें...
मेरे आँसू बह रहे थे और,
वो बरसात समझ बैठा...

14 April 2020

5721 - 5725 इत्र दुआ मजबूरी फितरत खत्म माटी बूंदे बारिश शायरी


5721
छत टपकती हैं,
उसके कच्चे घरकी...
वो किसान फिरभी,
बारिशकी दुआ करता हैं...!

5722
सारे इत्रोंकी खुशबू,
आज मन्द पड़ गयी;
मिट्टीपें बारिशकी,
बूंदे जो चन्द पड़ गयी ll

5723
घटाएं लगीं हैं आँसमांपें,
दिन सुहाने हैं...
हमारी मजबूरी हमें,
बारिशमें भी काग़ज़ कमाने हैं...

5724
फितरत तो कुछ यूँ भी हैं,
इंसानकी साहब...
बारिश खत्म हो जाये तो,
छतरी बोझ लगती हैं.......

5725
आज सब इत्रोंका दाम,
गिर गये हैं,
माटीको बारिशकी,
पहली बूंदोंने जो चूमा हैं...!

5716 - 5720 ख्वाब आँखे शब बात पैग़ाम बरस बारिश शायरी


5716
एक ख्वाबने आँखे खोली थी,
क्या मोड आया था कहानीमें;
मैं भीग रहा थी बारिशमें,
और आग लगी थी पानीमें ll

5717
मैं चुप कराता हूँ,
हर शब उमडती बारिशको...
मगर ये रोज़,
गई बात छेड़ देती हैं...
गुलज़ार

5718
उसको आना था कि,
वो मुझको बुलाता था कहीं...
रात भर बारिश थी,
उसका रात भर पैग़ाम था...
                          ज़फ़र इक़बाल

5719
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ,
पहली बारिश ही आख़िरी हैं मुझे...
तहज़ीब हाफ़ी

5720
बरस रही थी बारिश बाहर,
और वो भीग रहा था मुझमें...!
                             नज़ीर क़ैसर