5 May 2020

5821 - 5825 दिल इश्क़ दीदार ख्वाहिश इन्तजार उम्मीद तमन्ना मिजाज नजर शायरी



5821
तकल्लुफ हैं इश्क़में,
नजरअंदाज करना...
तेरे दीदारकी ख्वाहिश,
गलीमें खींच लाती हैं...!

5822
ये चेहरेकी खुशी,
सिर्फ तेरे इन्तजारकी हैं...
क्यूंकि दिलमें आज भी,
उम्मीद तेरे दीदारकी हैं...!

5823
जब ख़ुदाने पूछी,
मुझसे मेरी तमन्नाएँ...
मैंन उनसे यहीं कहाँ कि,
बस उनका दीदार हो जाये...!

5824
बादशाह थे हम,
अपनी मिजाजके...
तेरे इश्क़ने तेरे दीदारका,
फ़क़ीर बना दिया.......

5825
नजरे चुराकर भी कोई देखे,
तो जलता हैं ये दिल...
अंधे थे तेरे इश्क़में पर,
दीदारका हक़ भी मेरा ही था...
                                         सागर

3 May 2020

5816 - 5820 दिल ज़िंदगी लफ्ज़ बात उदासियाँ कसूर आँख अश्क उदासी अदा उदासी शायरी



5816
कैसे एक लफ्ज़में,
बयां कर दूँ...
दिलको किस बातने,
उदास किया.......

5817
खरीद लेंगे,
सबकी सारी उदासियाँ;
सिक्के हमारे मिजाज़के,
चलेंगे जिस रोज...

5818
तेरा कोई कसूर,
नही ज़िंदगी...
ये उदासियाँ,
हमने खुद चुनी हैं...!

5819
खाली नहीं रहा कभी,
आँखोंका ये मकान...
सब अश्क बह गए तो,
उदासी ठहर गई.......

5820
छू ना पाया,
मेरे अंदरकी उदासी कोई,
मेरे चेहरेने,
बहुत अच्छी अदाकारी की...!

2 May 2020

5811 - 5815 दिल आलम शोर बेचैन मुनासिब उदास बेवजह बेसबब उदास शायरी



5811
ना खोल मेरे,
मकानके उदास दरवाज़े;
हवाका शोर मेरी,
उलझने बढ़ा देते हैं...

5812
मुनासिब समझो तो,
सिर्फ इतना ही बता दो...
दिल बेचैन हैं बहुत,
कहीं तुम उदास तो नहीं...

5813
बेवजह, बेसबब...
यूहीं उदास रहेते हैं l
अधूरे लोग कहाँ,
आबाद रहेते हैं ll

5814
ख़ाली ख़ाली जो घर था,
एक दम भर गया;
उदास बैठा वो शख़्स,
कल रात मर गया...

5815
एक मुर्दा जल रहा था,
सारा आलम था उदास...
कलके आने वाले मुर्दे खड़े थे,
उसके आस पास.......

5806 - 5810 जालीम दुनिया लम्हे सपने खीलोने राज हक़ीक़त इरादे आँखें रास्ता उदास शायरी



5806
तुटे कांचके तुकडोसे,
तज कसे हैं जालीम दुनियाने,
चंद लम्हे और टूटे सपने,
इन्ही खीलोनोसे अपनेको बेहलाया हैं हमने ll

5807
टूटे हुए सपनो और रूठे हुए अपनोंने,
उदास कर दिया...
वरना लोग हमसे मुस्करानेका,
राज पुछा करते थे...!

5808
सपनोमें उन्हे हम,
हररोज ढुढते रहें...
वो हैं कि नींद हमारी,
उडाके चले गये.......

5809
सपनोंकी बर्फ़पर,
हक़ीक़तकी गर्मी पड़ती हैं l
तो बहुतसे इरादे,
पानी-पानी हो जातें हैं ll

5810
आँखें तो मेरी नीलाम हो गई,
तुम्हारा रास्ता तकते तकते...  
बिना सोचेसमझे ही मैं हद पार कर गई,
तुम्हारे ही सपने बुनते बुनते.......
                                                   भाग्यश्री

30 April 2020

5801 - 5805 दुआ बरक्कतें नसीहतें हिदायतें मतलब जरूरत असर गर्दिश तबाही मजबूर शायरी



5801
अब कहाँ दुआओंमें वो बरक्कतें,
वो नसीहतें वो हिदायतें...
अब तो बस जरूरतों का जलूस हैं,
मतलबोंके सलाम हैं.......

5802
अपने ही अपनोंसे करते हैं,
अपनेपन की अभिलाषा...
पर अपनोंने ही बदल रखी हैं,
अपनेपनकी परिभाषा.......

5803
तेरी दुआओंमें असर हो तो,
मस्जिदको हिलाके दिखा !
नहीं तो दो घूँट पी और,
मस्जिदको हिलता देख !!!

5804
गर्दिश तो चाहती हैं,
तबाही मेरी मगर;
मजबूर हैं किसीकी,
दुआओंके सामने...

5805
अगर चाहते हो,
की खुदा मिले...!
तो वही करो,
जिससे दुआ मिले...!!!

29 April 2020

5796 - 5800 प्यार खुशनसीब जलील दवा फ़क़ीर दुआ शायरी



5796
कल एक इन्सान रोटी मांगकर ले गया,
और करोड़ोंकी दुआयें दे गया !
पता ही नहीं चला की,
गरीब वो था की मैं !!!

5797
जलील किया करो,
किसी फ़क़ीरको अपनी चोखटसे साहब...
वो सिर्फ भीख लेने नहीं,
दुआ देने भी आता हैं.......!

5798
दुआ मांग लिया कर,
तू दवासे पहले...
कोई नहीं देता शिफ़ा,
ख़ुदासे पहले.......!

5799
कोई हैं जो दुआ करता हैं,
अपनोंमें मुझे भी गिना करता हैं l
बहुत खुशनसीब समझते हैं खुदको हम,
दूर रहकर भी जब कोई प्यार किया करता हैं ll

5800
मेरा मजहब तो,
ये दो हथेलियाँ बताती हैं;
जुड़े तो पूजा,
खुले तो दुआ,
कहलाती हैं.......

28 April 2020

5791 - 5795 ज़िन्दगी दुआ दामन सज़दा कुबूल शायरी



5791
बेअसर कहाँ होती हैं,
दुआ कोई भी...
या तेरी कुबूल होगी !
या मेरी कुबूल होगी !!!

5792
मैं तेरी ज़िन्दगीसे चला जाऊँ,
ये तेरी दुआ थी...
और तेरी हर दुआ कबूल हो,
ये मेरी दुआ थी.......

5793
चाहता तो हूँ कि,
हर सुबह आपको
अनमोल खज़ाना भेजूं;
लेक़िन मेरे दामनमें,
दुआओंके सिवा
कुछ हैं भी तो नहीं...!

5794
सज़दे कीजिये,
या माँगिये दुआयें...
जो आपका हैं ही नहीं,
वो आपका होगा भी नहीं...

5795
तुम्हारी दुनियासे जानेके बाद,
हम एक तारेमें नजर आया करेंगे l
तुम हर पल कोई दुआ मांग लेना,
और हम हर पल टूट जाया करेंगे...ll

5786 - 5790 दिल रास्ता चाहत शमा इज़ाफ़ा गुनाह डर दुआ शायरी



5786
दुआ करो मैं कोई,
रास्ता निकाल सकूँ...
तुम्हे भी देख सकूँ,
खुदको भी सम्भाल सकूँ...!

5787
हम ये नहीं चाहते की,
कोई आपके लिए दुआ ना मांगे...
हम तो बस इतना चाहते हैं की,
कोई दुआमें आपको ना मांगे...

5788
कर लो इज़ाफ़ा,
तुम अपने गुनाहोंमें...
मांग लो एक बार,
हमको दुआओं में...

5789
डरते हैं तुमसे कुछ कहनेसे,
और रोज मरते हैं, ना कहनेसे;
बस इतनी ही दुआ करते हैं खुदासे,
हम बुझे ना यह शमा कभी...
जो हमने जलाके हैं.......

5790
दुआ करना, दम भी...
उसी दिन निकले...
जिस दिन तेरे,
दिलसे हम निकले...!

26 April 2020

5781 - 5785 दिल तलब ख्वाहिश कुबूल याद हक़ दामन अलफ़ाज़ दुआ शायरी


5781
तलब ये नही की मैं,
तुम्हारा हो जाऊँ...
ख्वाहिश ये हैं की तुम्हारी दुआ बनूं,
और कुबूल हो जाऊँ.......!

5782
हर एक दुआमें,
हम तो यही कहते हैं...
वो सदा खुश रहें,
जो दिलमें मेरे रहते हैं...!

5783
मेरी यादोकी शुरुआत ही,
तुमसे होती हैं...!
तुम ये कहाँ करो,
मुझे दुआओमें याद रखना...!!!

5784
मेरा हक़ नहीं हैं,
तुमपर ये जानता हूँ मैं...
फिर भी ना जानें क्यूँ दुआओंमें,
तुझको माँगना अच्छा लगता हैं...!

5785
दामनको फैलाये बैठे हैं,
अलफ़ाज़--दुआ कुछ याद नहीं...
माँगू तो अब क्या माँगू,
जब तेरे सिवा कुछ याद नहीं.......!

25 April 2020

5776 - 5780 क़िस्मत वहम मौत दुख ज़हर दर्द दवा शायरी


5776
दर्द हो तो,
दवा भी मुमकिन हैं...
वहमकी क्या,
दवा करे कोई...?
               यगाना चंगेज़ी

5777
दर्द हो तो,
दवा करे कोई...
मौत ही हो तो,
क्या करे कोई...?
रियाज़ ख़ैराबादी

5778
दर्द हो, दुख हो,
तो दवा कीजे;
फट पड़े आसमाँ,
तो क्या कीजे...?
             जिगर बरेलवी

5779
मौत ही आपके बीमारकी.
क़िस्मतमें थी...
वर्ना कब ज़हरका मुमकिन था,
दवा हो जाना.......!
अहसन मारहरवी

5780
बीमारको मरज़की,
दवा देनी चाहिए...!
मैं पीना चाहता हूँ,
पिला देनी चाहिए...!!!
                  राहत इंदौरी

24 April 2020

5771 - 5775 दिल इश्क़ ग़म दुख नादाँ चाहत जुदा दर्द दवा शायरी


5771
दिल--नादाँ,
तुझे हुआ क्या हैं...
आख़िर इस दर्दकी,
दवा क्या हैं.......
                  मिर्ज़ा ग़ालिब

5772
ग़म--दिल अब,
किसीके बसका नहीं;
क्या दवा, क्या दुआ,
करे कोई.......
हादी मछलीशहरी

5773
इश्क़को दीजिए,
जुनूँमें फ़रोग़...
दर्दसे दर्दकी,
दवा कीजिए...
            जिगर बरेलवी

5774
जानता उसको हूँ,
दवाकी तरह...
चाहता उसको हूँ,
शिफ़ा की तरह...!
हक़ीर

5775
मेरे दुखकी,
दवा भी रखता हैं...
ख़ुदको मुझसे,
जुदा भी रखता हैं...!
              विशाल खुल्लर