12 May 2020

5861 - 5865 सलीका क़ातिल नक़ाब होश मदहोशी लफ्ज़ ग़ज़ल लुत्फ़ हौसला आँसू आँखें शायरी



5861
सलीका नक़ाबका भी,
अजब कर रखा हैं;
जो आँखे हैं क़ातिल,
उन्हींको खुला छोड़ रखा हैं...

5862
होशका पानी छिड़को,
मदहोशीकी आँखोंपर...
अपनोंसे कभी ना उलझो,
गैरोंकी बातोंपर...

5863
जो उनकी आँखोंसे बयाँ होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरीमें कहाँ होते हैं...!!!

5864
इन आँखोंसे बता,
कितना मैं देखूँ तुझे...?
रह जाती हैं कुछ कमी,
जितना भी देखूँ तुझे...!

5865
मेरी उस ग़ज़लने जब जब,
तुम्हारी आँखोंको छुआ हैं;
हाल क्या बताऊँ लफ़्ज़ोंका,
कागज़ोंको भी कुछ हुआ हैं;
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी,
आँख-मिचोलीका;
मिलेगी कामयाबी,
हौसला कमालका लिए बैठा हूँ...!

11 May 2020

5856 - 5860 हिरासत याद जमानत ख़ुशी इल्ज़ाम जख़्म क़सम वक़्त बेरुखी अश्क़ आँसू आँखें शायरी



5856
हजारो अश्क़,
मेरी आँखोंकी हिरासतमें थे...
फिर तेरी याद आई,
और इन्हें जमानत मिल गई...!

5857
ख़ुशीसे आँखें नम हैं मेरी,
बस एक चीज़ खल रही अब...
वो हैं तेरी कमी.......!

5858
अपने जख़्मोंके संग,
तेरे इल्ज़ाम भी धो दूँ मैं;
ख़ुदाकी क़सम बहुत पानी हैं,
इन आँखोंमें.......

5859
सोचकर बाज़ार गया,
अपने कुछ आँसू बेचने...
हर खरीददार बोला,
अपनोंके दिये तोहफे,
बेचा नहीं करते.......

5860
भीगी नहीं थी मेरी आँखें,
कभी वक़्तके मारसे...
देख तेरी थोड़ीसी बेरुखीने,
इन्हें जी भरके रुला दिया...

5851 - 5855 पैग़ाम मोहब्बत इश्क़ इज़हार तस्वीर हाल नज़रें ख्वाहिश आँसू आँखें शायरी



5851
नींद थी जो रातभर,
दूर खड़ी मुझे देखती रही...
कौन था जो रात भर,
मेरी आँखोंमें जगता रहा...

5852
तुझे देखे बिना तेरी तस्वीर बना सकता हूँ,
तुझसे मिले बिना तेरा हाल बता सकता हूँ;
हैं मेरी मोहब्बतमें इतना दम,
तेरी आँखका आँसू अपनी आँखसे गिरा सकता हूँ...

5853
वो किताब लौटानेका,
बहाना तो लाखोंमें था...!
लोग ढुँढते रहें खत,
पैग़ाम तो आँखोंमें था...!!!

5854
नज़रें बहुत तेज हैं ना तुम्हारी,
फिर क्यूँ.......
मोहब्बत देख नहीं पाए,
आँखोंमें हमारी...?

5855
इश्क़ वही हैं जो हो एकतरफा हो,
इज़हार- -इश्क़ तो ख्वाहिश बन जाती हैं,
हैं अगर मोहब्बत तो आँखोंमें पढ़ लो...
ज़ुबानसे इज़हार तो नुमाइश बन जाती हैं...!

9 May 2020

5846 - 5850 दिल दुनिया नजरअंदाज रिवाज मोहब्बत कोशिश बहाने नजरअंदाज शायरी



5846
वो करता हैं नजरअंदाज,
तो बुरा मत मान ए दिल !
टूटकर चाहनेवालोंको सताना,
रिवाज हैं मोहब्बतका...!

5847
कोशिश यही रहती हैं कि,
हमसे कोई रूठे ना कभी...
मगर नजरअंदाज करनेवालोंको,
पलटकर हम भी नहीं देखते...

5848
आपकी नजरअंदाजीके,
खूब सारे बहानोंसे वाकिफ हैं हम...
पता नही हमारा दिल,
बहलानेकी आपकी पैरवीसे,
कितने दूर हैं हम.......
                                         भाग्यश्री

5849
तेरे आँखोंसे छलकती मदिरामें,
डुबना चाहती हूँ !
सबकी नजरोंसे तुम्हे,
चुराना चाहती हूँ !!
बस तुम्हे देखके तुम्हारी ही,
नजर उतारना चाहती हूँ !!!
भाग्यश्री

5850
दुनियाकी गंदी नजरसे,
नजरअंदाज करना सदी...
अब तो तू भी,
जवॉ हो गई हैं...!

8 May 2020

5841 - 5845 दिल ख़ूबी खामी जिंदगी नजरें लफ्ज बात जज्बात अफसाना गहराई सुकून शायरी



5841
ख़ूबी और खामी,
दोनों ही होती हैं हर इंसानमें l
जो तराशता हैं उसे ख़ूबी नजर आती हैं,
और जो तलाशता हैं उसे खामी नजर आती हैं ll

5842
उन्हें कामयाबीमें सुकून नजर आया,
तो वो दौड़ते गए...
हमें सुकूनमें कामयाबी दिखी,
तो हम ठहर गए.......!

5843
अब तो इतवारमें भी,
कुछ यूँ हो गयी हैं मिलावट;
छुट्टी तो दिखती हैं,
सुकून नजर नहीं आता...ll

5844
चौराहेपर खड़ी जिंदगी नजरें दौड़ाती हैं,
काश कोई फलक दिख जाए...
जिसपर लिखा हो,
सुकून 0. कि .मी. !!!

5845
लफ्जोकी अहमियत ही नहीं जज्बातोके सामने,
ये तो वो अफसाना हैं जो नजरोंसे बयान हो l
समजे जज्बात दिलकी गहराईसे,
और कोई बात भी हो ll

7 May 2020

5836 - 5840 दिल खबर हयात ख़्वाब वजूद ज़ख्म आँसु दामन बोझ गम नजर शायरी



5836
मैने तो देखा था बस,
एक नजरके खातिर...
क्या खबर थी की रग रगमें,
समां जाओगे तुम.......!

5837
नहीं जो दिलमें जगह तो,
नजरमें रहने दो;
मेरी हयातको तुम अपने,
असरमें रहने दो;
मैं अपनी सोचको तेरी,
गलीमें छोड़ आया हूँ;
मेरे वजूदको ख़्वाबोंके,
घरमें रहने दो.......

5838
ज़ख्मोपें मरहम कभी लगाया तो होता,
मेरे आँसुओके लिए दामन बिछाया तो होता,
बदनामियोंके बोझसे जब गर्दन झुक गयी,
कन्धा अपना तुमने बढ़ाया तो होता,
गिर गिरके संभल जाते फिर गिरने के लिए,
अगर नजरोंने तेरी यूँ गिराया ना होता...

5839
खुशियाँ तो कबसे,
रूठ गई हैं मुझसे...
काश,
इन गमोंको भी किसीकी, 
नजर लग जाये.......

5840
मेरी नजरसे अगर तुम,
खुदको देखोगी...
तो हर रोज खुद--खुद अपनी,
नजर उतारोगी.......!
                                          भाग्यश्री

5831 - 5835 दिल याद मुहब्बत हमसफ़र आँखें इश्क तमन्ना आरजु नजर शायरी



5831
यादें उन्हींकी आती हैं,
जिनसे कुछ ताल्लुक हो;
हर शख्स मुहब्बतकी नजरसे,
देखा नही जाता...

5832
आँखें भी बोलती हैं,
मोहब्बतकी भाषा...
हमसफ़रकी नजरसे,
नजर मिलाकर तो देखो...!

5833
तुमने कहा था,
आँखभरके
देख लिया करो मुझे...
मगर,
अब आँख भर आती हैं,
तुम नजर नहीं आते हो...

5834
मदहोश नजरोमें,
इश्ककी चाहत उभर आई हैं l
मोहब्बतको छुपालूँ दिलमें,
आँखें तो हरजाई हैं ll

5835
तमन्नाओंको जिन्दा,
आरजुओंको जवाँ कर लूँ...
तुम नजर इधर करो,
तो मैं भी कुछ गुस्ताखियाँ कर लूँ...

6 May 2020

5826 - 5830 दिल इश्क हकीकत नजरअंदाज खामोश तन्हा खबर याद नजर शायरी



5826
उसका नकाबी चेहरा,
हकीकतमें तब्दील होने लगा...
इश्क मेरा मेरी ही नजरोंमें,
ज़लील होने लगा.......

5827
झुकी झुकी नजर तेरी,
कमाल कर जाती हैं...
उठती हैं एक बार तो,
सवाल कर जाती हैं...

5828
नजरअंदाज कर जा,
एक बार...
पर,
इधरसे गुज़र जा...!

5829
खामोश उनकी नजरोंने,
एक काम गजब का कर डाला...
पहले थे हम दिलसे तन्हा,
अब खुदसे ही तन्हा कर डाला...

5830
बिछे हुए अखबारकी,
पुरानी खबर पढ़ रहा था...
नजर तारीखपे थी,
यादोंसे लड़ रहा था.......

5 May 2020

5821 - 5825 दिल इश्क़ दीदार ख्वाहिश इन्तजार उम्मीद तमन्ना मिजाज नजर शायरी



5821
तकल्लुफ हैं इश्क़में,
नजरअंदाज करना...
तेरे दीदारकी ख्वाहिश,
गलीमें खींच लाती हैं...!

5822
ये चेहरेकी खुशी,
सिर्फ तेरे इन्तजारकी हैं...
क्यूंकि दिलमें आज भी,
उम्मीद तेरे दीदारकी हैं...!

5823
जब ख़ुदाने पूछी,
मुझसे मेरी तमन्नाएँ...
मैंन उनसे यहीं कहाँ कि,
बस उनका दीदार हो जाये...!

5824
बादशाह थे हम,
अपनी मिजाजके...
तेरे इश्क़ने तेरे दीदारका,
फ़क़ीर बना दिया.......

5825
नजरे चुराकर भी कोई देखे,
तो जलता हैं ये दिल...
अंधे थे तेरे इश्क़में पर,
दीदारका हक़ भी मेरा ही था...
                                         सागर

3 May 2020

5816 - 5820 दिल ज़िंदगी लफ्ज़ बात उदासियाँ कसूर आँख अश्क उदासी अदा उदासी शायरी



5816
कैसे एक लफ्ज़में,
बयां कर दूँ...
दिलको किस बातने,
उदास किया.......

5817
खरीद लेंगे,
सबकी सारी उदासियाँ;
सिक्के हमारे मिजाज़के,
चलेंगे जिस रोज...

5818
तेरा कोई कसूर,
नही ज़िंदगी...
ये उदासियाँ,
हमने खुद चुनी हैं...!

5819
खाली नहीं रहा कभी,
आँखोंका ये मकान...
सब अश्क बह गए तो,
उदासी ठहर गई.......

5820
छू ना पाया,
मेरे अंदरकी उदासी कोई,
मेरे चेहरेने,
बहुत अच्छी अदाकारी की...!

2 May 2020

5811 - 5815 दिल आलम शोर बेचैन मुनासिब उदास बेवजह बेसबब उदास शायरी



5811
ना खोल मेरे,
मकानके उदास दरवाज़े;
हवाका शोर मेरी,
उलझने बढ़ा देते हैं...

5812
मुनासिब समझो तो,
सिर्फ इतना ही बता दो...
दिल बेचैन हैं बहुत,
कहीं तुम उदास तो नहीं...

5813
बेवजह, बेसबब...
यूहीं उदास रहेते हैं l
अधूरे लोग कहाँ,
आबाद रहेते हैं ll

5814
ख़ाली ख़ाली जो घर था,
एक दम भर गया;
उदास बैठा वो शख़्स,
कल रात मर गया...

5815
एक मुर्दा जल रहा था,
सारा आलम था उदास...
कलके आने वाले मुर्दे खड़े थे,
उसके आस पास.......