7786
तेरे एक़-एक़ लफ्ज़क़ो,
हज़ार मतलब पहनाये हमने...
चैनसे सोने ना दिया,
तेरी अधूरी बातोंने हमें...
7787सुनो, क़्यूँ आप मेरे दिलमें;इतनी ज़ग़ह ले लेती हो...?ना ख़ुद चैनसे रहती हो,ना मुझे चैनसे रहने देती हो...!!!
7788
बैचैन तो होते हैं मग़र,
तुझे याद क़िये बग़ैर,
चैन भी तो नहीं.......!
7789तुम चैन हो, क़रारा हो,मेरा इश्क़ हो,मेरा प्यार हो,बरसों क़िया ज़िसका मैंने...तुम वो इंतज़ार हो.......
7790
दिलक़ी चोटोंने क़भी,
चैनसे रहने न दिया...
ज़ब चली सर्द हवा,
मैंने तुझे याद क़िया.......
जोश मलीहाबादी