10 November 2021

7841 - 7845 इंतज़ार ख़ामोश नज़र पैग़ाम दीवाना इश्क़ आहट तलाश राहत ग़म बेचैनी बेचैन शायरी

 

7841
इंतज़ार--इश्क़में,
बेचैनीक़ा आलम पूछो...
हर आहटपर लगता हैं,
वो आये हैं, वो आये हैं.......

7842
महव--तलाश--राहत,
तू यह भी ज़ानता हैं...
क़हते हैं ज़िसक़ो राहत,
वह ग़मक़ी इन्तिहा हैं.......
अफ़सर मेंरठी

7843
बेचैन बहुत हूँ मग़र,
पैग़ाम क़िसक़ो दूँ...?
जो ख़ुद ना समझ पाया,
वो इलज़ाम क़िसक़ो दूँ...?


7844
क़ुछ तो तज़बीज़ क़रती हैं,
ये ख़ामोश नज़र और;
पलक़क़ी ज़ुम्बिश,
उफ़ क़ोई बेचैन सरारा,
ज़लनेक़ो हैं.......

7845
क़ोई दीवाना क़हता हैं,
क़ोई पाग़ल समझता हैं !
मग़र धरतीक़ी बेचैनीक़ो,
बस बादल समझता हैं...!!!

8 November 2021

7836 - 7840 दिल फ़ितरत सब्र साथ इंतज़ार क़दर ख़ामोश सुक़ून बेचैनी बेचैन शायरी

 

7836
बेचैनी देख़ चुक़े हो हमारी,
अब सब्र देख़ना...
इस क़दर ख़ामोश रहेंगे हम क़ि,
चीख़ उठोगे तुम.......

7837
बेक़रारीक़ा,
पूछते हो सबब...
सिर्फ़ आपक़ा,
इंतज़ार हैं साहिब...!

7838
ले ग़या छीनक़े,
क़ौन आज़ तेरा सब्रो-क़रार...
बेक़रारी तुझे दिल,
क़भी ऐसी तो थी.......!!!

7839
बेक़रारी बढ़ते बढ़ते,
दिलक़ी फ़ितरत बन ग़ई ;
शायद अब तस्क़ीनक़ा,
पहलु नज़र आने लग़े...

7840
क़ब दिलक़ो सुक़ून और बेक़रारी,
एक़ साथ होगी...
क़ब बहुत क़ुछ क़हना चाहना और,
क़ुछ भी क़ह पाना होग़ा.......

6 November 2021

7831 - 7835 दिल पनाह वज़ह रूह बेचैनी बेचैन शायरी

 

7831
हाल--दिलसे,
बड़े बेचैन लग़ते हैं ज़नाब...
क़हीं पेशानीपर सिक़नक़ी,
वज़ह मैं तो नहीं.......

7832
हर मौज़ थी बेचैन,
बहक़नेक़ो क़भीसे...
ख़ुद आप ही दरियामें,
नहाने नहीं उतरे.......
गिरिज़ा व्यास

7833
मौत खींचक़े लाई थी,
तेरे क़ूचेमें...
बेचैन रूहोंक़ो तेरे दरपर,
आक़े पनाह मिली.......

7834
दिलक़ो ख़ुदाक़ी,
यादतले भी दबा चुक़ा...
क़म-बख़्त फ़िर भी,
चैन  पाए तो क़्या क़रूँ...?
हफ़ीज़ ज़ालंधरी

7835
बेचैन रूहोंक़ो,
क़भी देखा हैं l
मरक़े भी साँस,
क़ैसे लेती हैं...?

3 November 2021

7826 - 7830 इश्क़ प्यार यार सुकूँ मुस्कान ज़िक़्र ख़्याल सितारें बेचैनी बेचैन शायरी

 

7826
मिले जो यारक़ी शोख़ीसे,
उसक़ी बेचैनी...
तमाम रात दिल--मुज़्तरिबक़ो,
प्यार क़िया.......
                               दाग़ देहलवी

7827
होठोंपर मुस्कान तो,
दिख़ाने भरक़ा हैं...
बेचैन दिल तो,
ज़माने भरक़ा हैं.......

7828
नासेह क़हाँक़ा छेड़ दिया तूने,
आक़े ज़िक़्र उसक़ा...
ख़्याल फ़िर मुझे,
बेचैन क़र ग़या.......
                          हफ़ीज़ ज़ौनपुरी

7829
इश्क़ क़रनेसे पहले,
 बैठ फ़ैसला क़रलें...
सुकूँ क़िसक़े हिस्से होग़ा,
और बेक़रारी क़िसक़े हिस्से.......

7830
हमें भी नींद  ज़ाएगी,
हम भी सो ही ज़ाएँगे...
अभी क़ुछ बे-क़रारी हैं,
सितारों तुम तो सो ज़ाओ.......
                        क़तील शिफ़ाई

7821 - 7825 दिल मोहब्बत इनायात क़रार मंज़ूर आँख़ नज़र झलक़ उमंग बेचैनी बेचैन शायरी

 

7821
क़ुछ मोहब्बतक़ो  था,
चैनसे रख़ना मंज़ूर...
और क़ुछ उनक़ी इनायातने,
ज़ीने  दिया.......
                            क़ैफ़ भोपाली

7822
मेरे बेचैन दिलक़ो,
क़रार मिल ज़ाए...
तेरा चेहरा,
ज़ब भी नज़र आये...!!!

7823
आँख़ बेचैन तिरी,
एक़ झलक़क़ी ख़ातिर...
दिल हुआ ज़ाता हैं बेताब,
मचलनेक़े लिए.......
                    शक़ील आज़मी

7824
बेचैन उमंगोक़ो,
बहलाक़े चले ज़ाना...
हम तुमक़ो  रोकेंगे,
बस आक़े चले ज़ाना.......

7825
मैं बोली,
क़्यूँ बहुत बेचैन रहते हो...?
वो बोला,
क़हर हैं, दिलक़ी लगी मेरी...!
                       फ़ौज़िया रबाब

1 November 2021

7816 - 7820 दिल आँख तलाश एहसास प्यास ज़ज़्बात ज़िंदगी रात चाँद सुकून बेचैनी बेचैन शायरी

 

7816
इतनी बेचैनीसे तुमक़ो क़िसक़ी तलाश हैं...
वो क़ौन हैं ज़ो तेरी आँखोंक़ी प्यास हैं...
ज़बसे मिला हूँ तुमसे यही सोचता हूँ मैं,
क़्यो मेरे दिलक़ो हो रहा तेरा एहसास हैं.......!

7817
ज़ज़्बातक़े समुंदर,
बेचैन हो रहे थे l
ज़ब चाँद था अधूरा,
ज़ब रात साँवली थी ll
त्रिपुरारि

7818
ग़मक़ा आलम तब भी था और आज़ भी हैं...
सुकूनक़ी तलाश तब भी थी और आज़ भी हैं...
बेसबब ही जाता हैं हर बातपें रोना,
दिलक़ी बेचैनी तब भी थी और आज़ भी हैं.......!

7819
इक़ पल क़रार आता,
दो दिनक़ी ज़िंदगीमें...
बेचैनियाँ ही मिलतीं,
सूरत बदल बदलक़े.......
क़लील झांसवी

7820
मुझे इतना याद आक़र,
बेचैन करों तुम...
एक यही सितम क़ाफ़ी हैं,
क़ि साथ नहीं हो तुम.......

31 October 2021

7811 - 7815 साँसें आँखें ख़्याल रूबरू ख़्वाब फ़िक्र अज़ीब इंतज़ार क़रार बेचैनी बेचैन शायरी

 

7811
साँसोंमें अज़ीबसी बेचैनी,
दिलमें तेरा ही ख़्याल होता हैं l
ग़ुज़र ज़ाती हैं रात ख़्वाबोंमें,
फ़िर भी सुबह तुझसे ही...
रूबरू होनेक़ा इंतज़ार होता हैं ll

7812
अज़बसा चैन था हमक़ो,
क़ि ज़ब थे हम बेचैन...
क़रार आया तो ज़ैसे,
क़रार ज़ाता रहा.......
ज़ावेद अख़्तर

7813
यहाँ हम बेचैन,
वहाँ तुम बेचैन...
ज़ब मिले हम तुम,
तब ही मिले चैन...!!!

7814
क़भी ये फ़िक्र क़ि,
वो याद क्यूँ क़रेंगे हमें...
क़भी ख़्याल क़ि,
ख़तक़ा ज़वाब आएगा.......

7815
बेचैन रहती हैं आँखें मेरी,
एक तू ही अच्छा लग़ता हैं l
झूठी लग़ती हैं दुनिया सारी,
एक तू ही सच्चा लग़ता हैं ll

7806 - 7810 दिल हाल अश्क़ तसल्ली क़दर तन्हाई ख़्वाब ख़्याल चाँद बेचैनी बेचैन शायरी

 

7806
भोले बनक़र हाल पूछ,
बहते हैं अश्क़ तो बहने दो...
ज़िससे बढ़े बेचैनी दिलक़ी,
ऐसी तसल्ली रहने दो.......
                          आरज़ू लखनवी

7807
बेचैन इस क़दर था क़ि,
सोया रातभर ;
पलक़ोंसे लिख़ रहा था,
तिरा नाम चाँदपर...!

7808
मेरे बेचैन ख़्यालोंपें,
उभरने वाली,
अपने ख़्वाबोंसे बहला,
मेरी तन्हाईक़ो.......
                   क़तील शिफ़ाई

7809
बड़ी मुश्किलसे सीख़ा हैं,
ख़ुश रहना उनक़े बगैर...
सुना हैं ये बात भी उन्हें,
थोडा परेशान क़रती हैं...!!!

7810
उसे बेचैन क़र ज़ाऊँगा मैं भी,
ख़ामोशीसे गुज़र ज़ाऊँगा मैं भी...!

29 October 2021

7801 - 7805 दिल इश्क़ मोहब्बत ख़ामोशी वज़ह सुक़ून ख़ता रूह क़रवट बेचैनी बेचैन शायरी

 

7801
इश्क़ दिलक़ा,
वो सुक़ून हैं...
ज़ो रूहक़ो सदा,
बेचैन रख़ती हैं.......

7802
क़भी रातोंक़ी क़रवटें,
क़भी दिनक़ी बेचैनियाँ...
ये मोहब्बत ज़रा,
मोहब्बतसे पेश हमसे...

7803
हमारी मोहब्बत ज़रूर,
अधूरी रह ग़यी होग़ी...
पिछले ज़नममें,
वरना इस ज़नमक़ी तेरी ख़ामोशी,
मुझे इतना बेचैन क़रती.......

7804
क़ोई कुछ भी ना क़हे,
तो पता क्या हैं...
इस बेचैन ख़ामोशीक़ी,
वज़ह क़्या हैं...
उन्हें ज़ाक़े क़ोई क़हे,
हम ले लेंगे ज़हर भी...
वो सिर्फ़ ये तो बता दे,
मेरी ख़ता क़्या हैं.......

7805
ख़ामोशी, बेचैनी,
यादें तेरी, मेरा ख़ालीपन...
क़ितना कुछ हैं क़मरेमें,
तेरे और मेरे सिवा.......

28 October 2021

7796 - 7800 दर्द उल्फत सुक़ून चैन नसीब साहिल दीवार मंज़िल क़रवट बेचैनी बेचैन शायरी

 

7796
बेचैनिया और दर्द--उल्फत मुझक़ो मिले सारी,
तुझक़ो सुक़ूनो चैन नसीब हो...
क़रवटे थी बेचैनियाँ थी,
क़्या ग़ज़बक़ी नींद थी मोहब्बतसे पहले...!!!

7797
मुसाफ़िर अपनी मंज़िलपर,
पहुँचक़र चैन पाते हैं l
वो मौजें सर पटक़ती हैं,
ज़िन्हें साहिल नहीं मिलता ll
मख़मूर देहलवी

7798
यूँ भी उनक़ो चैन नहीं था,
यूँ भी उनक़ो चैन नहीं हैं...
दीवारोंसे झाँक़ रहे हैं,
दीवारें उठवाक़र लोग़...

7799
ख़ेती क़रक़े जो,
ख़ुश नहीं हो पाता हैं...
उसक़े ज़ीवनमें,
क़हीं नहीं चैन आता हैं ll

7800
चीरक़े ज़मीनक़ो, मैं उम्मीद बोता हूँ;
मैं क़िसान हूँ, चैनसे क़हाँ सोता हूँ;
वो लूट रहे हैं सपनोंक़ो,
मैं चैनसे क़ैसे सो ज़ाऊँ...?
वो बेच रहे हैं भारतक़ो,
ख़ामोश मैं क़ैसे हो ज़ाऊँ.......?