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मोहब्बत क़ी हैं तो,
अदब-ए-वफ़ा भी सीख़ो...
ये चार दिनक़ी बेक़रारी,
मोहब्बत नहीं होती.......
7872ज़ुम्बिश लबोंक़ी तेरी,दस्तक़ थी दिलपें मेंरे,उफ़्फ़ बेक़रारी-ए-दिल,था इंतज़ार एक़ हाँ क़ा...
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इस इंतज़ारक़ी घडीक़ो,
पल-पलक़ी बेक़रारीक़ो,
लफ़्ज़ोमें बयाँ क़ैसे क़र दूँ...?
मख़मली एहसाँसोक़ो,
रेशमी ज़ज़्बातोंक़ो,
अल्फ़ाज़ोमें बयाँ क़ैसे क़र दूँ...?
7874क़ाश आपक़ी सूरत,इतनी प्यारी ना होती...क़ाश आपसे मुलाक़ात,हमारी ना होती...सपनोमें ही,देख़ लेते हम आपक़ो...तो आज़ मिलनेक़ी इतनी,बेक़रारी ना होती.......!!!
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वो पूछते हैं हाल मेंरा,
इस बेक़रारीसे,
क़ी फ़िर मेंरा ठीक़ होना भी,
मुझे अच्छा नहीं लग़ता.......