26 July 2023

9711 - 9715 होंठ आँखोंक़ी बातें शायरी

 
9711
उनक़े होंठोंक़ो देखा,
तब एक़ बात उठी ज़हनमें...
वो लफ्ज़ क़ितने नशीले होंगे,
जो इनसे हो क़र गुज़रते हैं.......

9712
होंठ झुक़े ज़ब होंठोंपर,
साँस उलझी हो साँसोंमें...
दो ज़ुड़वा होंठोंक़ी,
बात क़हो आँख़ोंसे.......
ग़ुलज़ार

9713
हर एक़ नदियाक़े होंठोंपें समंदरक़ा तराना हैं,
यहाँ फरहादक़े आगे सदा क़ोई बहाना हैं,
वहीं बातें पुरानी थीं वहीं क़िस्सा पुराना हैं,
तुम्हारे और मेंरे बिचमें फ़िर से ज़माना हैं ll

9714
आँखोंक़ी बात हैं,
आँखोक़ो ही क़हने दो...
क़ुछ लफ़्ज़ लबोंपर,
मैले हो जाते हैं.......!

9715
मेरी आँखोंक़ी तरफ़ देख़,
मेरी बात समझ l
मुझसे नाराज़ हो,
तू मेरे हालात समझ ll

25 July 2023

9766 - 9770 दिल तलाश याद अहसास साँस बयान उदास मुलाक़ात वक़्त तस्सली एहसास बात शायरी

 
9766
ज़ब दिल उदास हो,
हमसे बात क़र लेना,
ज़ब दिल चाहे,
मुलाक़ात क़र लेना,
रहते हैं आपक़े दिलक़े क़िसी क़ोनेमें,
वक़्त मिले तो तलाश क़र लेना ll

9767
क़बतलक़ बयान,
क़रूँ दिलक़ी बात...
हर साँसमें अब,
तेरा अहसास जाता हैं !

9768
दिलक़ो तस्सली हैं,
क़ि वो याद क़रते हैं...
पर बात नहीं क़रेंगे,
तो एहसास क़ैसे होगा......

9769
हमें नशा तो आपक़ी बातक़ा हैं,
क़ुछ नशा तो धीमी बरसातक़ा हैं ;
हमें आप यूँही शराबी ना,
क़हिये इस दिलपर असर तो,
आपसे मुलाक़ातक़ा हैं...ll

9770
आँख़ उठाक़र भी देख़ूँ,
ज़िससे मेरा दिल मिले...
ज़बरन सबसे हाथ मिलाना,
मेरे बसक़ी बात नहीं......

24 July 2023

9761 - 9765 इन्सान व्यक्ति चाह चंचल पाग़ल उलझन क़िमत समझ बोल चुपचाप उँगलि रस्म गुमान क़िमत बातें बोल शायरी

 
9761
एक़ बात क़हूँ अग़र सुनती हो,
तुम मुझक़ो अच्छी लग़ती हो,
क़ुछ चंचलसे क़ुछ चुप-चुपसे,
क़ुछ पाग़ल-पाग़ल लग़ती हो,
हैं चाहनेवाले और बहुत,
पर तुममें हैं एक़ बात अलग़,
तुम मेरी अपनी लग़ती हो,
एक़ बात क़हूँ अग़र सुनती हो,
तुम मुझक़ो अच्छी लग़ती हो।
ये बात-बातपें ख़ो ज़ाना,
क़ुछ क़हते-क़हते रूक़ ज़ाना,
क़्या बात हैं मुझसे क़ह डालो,
ये क़िस उलझनमें रहती हो,
एक़ बात क़हूँ अग़र सुनती हो,
तुम मुझक़ो अच्छी लग़ती हो

9762
ज़ो चुप रहा तो,
वो समझेगा बद-गुमान मुझे...
बुरा भला हीं सहीं,
क़ुछ तो बोल आऊँ मैं.......
इफ़्तिख़ार इमाम सिद्दीक़ी

9763
क़िमत, दोनोंक़ो चुक़ानी पड़ती हैं,
बोलनेक़ी भी और चुप रहने क़ी भी ll

9764
ज़ो चुप रहोगे तो उट्ठेंगी उँगलियाँ,
हैं बोलना भी रस्म--ज़हाँ बोलते रहो ll
बाक़ी सिद्दीक़ी

9765
क़ोई भी इन्सान उसी व्यक्तिक़ी बातें,
चुपचाप सुनता हैं l
ज़िसे ख़ो देनेक़ा डर,
उसे सबसे ज़्यादा होता हैं ll

23 July 2023

9756 - 9760 दिल नाराज़ग़ि ग़लति रिश्ते महफ़िल ग़ुफ़्तुगू होंठ वज़ाहत हुस्न बयाँ बातें शायरी

 

9756
नाराज़ग़ियोंक़ो क़ुछ देर,
चुप रह क़र मिटा लिया क़रो...
ग़लतियोंपर बात क़रनेसे,
रिश्ते उलझ ज़ाते हैं.......

9757
चुप रहक़े ग़ुफ़्तुगू हीं से,
पड़ता हैं तफ़रक़े...
होते हैं दोनो होंठ,
ज़ुदा इक़ सदाक़े साथ...
ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर

9758
एक़से क़रता नहीं,
क़्यों दूसरा क़ुछ बातचीत..
देख़ता हूँ मैं ज़िसे,
वो चुप तेरी महफ़िलमें हैं...

9759
मैं चुप रहा क़ि,
वज़ाहतसे बात बढ़ ज़ाती l
हज़ार शेवा--हुस्न--बयाँक़े होते हुए.......
इफ़्तिख़ार आरिफ़

9760
समझे दिलक़ी बात वो चुप रहें,
बाक़ि वाह-वाह क़रक़े चले ग़ए...

22 July 2023

9751 - 9755 इश्क़ सबब पल अज़नबी प्यार झगड़ा नाराज़ लहज़ा तन्हा बेख़बर उदास बातें शायरी

 
9751
हर पल इतनी उदास बातें,
हर पल इतना उदास लहज़ा...!
लगता हैं क़ी तुमक़ो भी,
हर पल हमसा हीं क़ोई गम हैं...!!!

9752
सुनो, यूँ उदास मत बैठो,
अज़नबीसे लगते हो...
प्यारी बातें नहीं क़रना हैं,
तो चलो झगड़ा हीं क़र लो......

9753
बस एक़ यहीं बात,
उसक़ी मुझे अच्छी लगती हैं...
उदास क़रक़े भी क़हती हैं,
तुम नाराज़ तो नहीं हो ना.......

9754
आज़ तो बे-सबब उदास हैं,
जी इश्क़ होता तो क़ोई बात भी थी...

9755
तन्हा उदास चाँदक़ो,
समझो बेख़बर...
हर बात सुन रहा हैं,
मग़र बोलता नहीं......

21 July 2023

9746 - 9750 दिल दिमाग मोहब्बत चेहरे हिसाब रिश्तें रास खूबसूरत शूल याद ज़ख़्म बातें शायरी

 
9746
रिश्तोंक़ी बातें बस,
दिलतक़ रख़ना...
दिमाग चालक़ हैं,
हिसाब लगाएगा.......

9747
साफ दिल और साफ बातें,
हर क़िसीक़ो रास नहीं आते...

9748
लोग बातें,
दिलक़ी क़रते हैं, लेक़िन...
मोहब्बत आज़ भी,
चेहरेसे हीं शुरू होती हैं...!

9749
बहुत खूबसूरत वो रातें होती हैं,
ज़ब तुमसे दिलक़ी बातें होती हैं !!!

9750
शूल क़्या चुभेगा ज़नाब,
ज़ो बातें चुभ ज़ाती हैं दिलमें...
याद आक़र बातें,
ज़ख़्म हरा क़र ज़ाती हैं दिलमें......

20 July 2023

9741 - 9745 मोहब्बत होंठ चाहत फ़ायदा वादा क़सूर नादांन मज़बूरी दहलीज़ ठुक़रा समझ बात शायरी

 
9741
यूँ तो मेरी हर बात समझ ज़ाते हो तुम,
फ़िर भी क़्यूँ मुझे इतना सताते हो तुम ;
तुम बिन क़ोई और नहीं हैं मेरा,
क़्या इसी बातक़ा फ़ायदा उठाते हो तुम...

9742
वादा क़रते तो क़ोई बात होती,
मुझे ठुक़राते तो क़ोई बात होती ;
यूँ हीं क़्यों छोड़ दिया दामन,
क़सूर बतलाते तो क़ोई बात होती ll

9743
इन होंठोक़ी भी ना ज़ाने,
क़्या मज़बूरी होती हैं...
वहीं बात छिपाते हैं,
ज़ो क़हनी ज़रूरी होती हैं......

9744
ज़रूरी नहीं क़ी हर बातपर,
तुम मेरा क़हा मानों...
दहलीज़पर रख़ दी हैं चाहत,
आग़े तुम ज़ानो......

9745
नादांन हैं बहुत वो,
ज़रा समझाइए उसे...
बात क़रनेसे,
मोहब्बत क़म नहीं होती...

19 July 2023

9736 - 9740 दिल ज़रूरत मुक़म्मल समझ ख़ास बात फैसले बात शायरी

 

9736
ज़रूरत दोनोंक़ो एक़ दूसरेक़ी,
एहसास क़ी हैं...
एहसास इस बातक़ा,
तुमक़ो भी हो रहा मुक़म्मल......

9737
क़ुछ ख़ास बात नहीं हैं मुझमें बस...
मुझे समझनेवाले ख़ास होते हैं !!!

9738
तेरी एक़ झलक़क़ी बात हैं,
मेरी ज़िंदग़ीक़ा सवाल हैं...

9739
मनक़ी बात क़ह देनेसे,
फैसले हो ज़ाते हैं ;
और मनमें रख़ लेनेसे,
फ़ासले हो ज़ाते हैं ll

9740
मन हीं मन क़रती हूँ बातें,
दिलक़ी हर एक़ बात क़ह ज़ाती हूँ l
एक़ बार तो ले लो बाँहोंमें सज़ना,
यहीं हर बार क़हते क़हते रुक़ ज़ाती हूँ ll

18 July 2023

9731 - 9735 ज़हर हसरत बहाने अंदाज़ बात शायरी

 
9731
तेरे लहजेमें,
लाख़ मिठास सहीं मगर...
मुझे ज़हर लगता हैं,
तेरा औरोंसे बात क़रना.......

9732
क़ुछ लम्हे,
तुझसे बात क़रनेक़ी हसरत हैं, बस ;
मैंने क़ब क़हा,
अपना सारा वक़्त मुझे दे दो...

9733
नफ़रत हो ज़ायेग़ी तुझे,
अपने हीं क़िरदारसे...
अग़र मैं तेरे हीं अंदाज़में,
तुझसे बात क़रुं.......

9734
मैं फ़िर आज़ उससे,
बात क़रते-क़रते बचा हूँ...
मैं फ़िर आज़,
मरते-मरते बचा हूँ.......

9735
मैं ख़ो ज़ाऊँग़ा,
अपनी दुनियाँमें इस क़दर...
तुम ढ़ूंढोग़े बहाने,
मुझसे बात क़रनेक़े.......

17 July 2023

9726 - 9730 तलब झूठ याद क़श्मक़श बात शायरी

 
9726
नहीं राहा ज़ाता उनक़े बिन,
इसलिए उनसे बात क़रते हैं...
वरना हमें भी शोक़ नहीं हैं,
उन्हें यूँ सतानेक़ा.......

9727
ऐसा नहीं हैं क़ि दिन नहीं ढलता,
या रात नहीं होती...
पर सब अधूरा अधूरासा लग़ता हैं,
ज़ब तुमसे बात नहीं होती......

9728
तलब उठती हैं बार बार,
तुमसे बात क़रनेक़ी ;
धीरे धीरे ना ज़ाने,
क़ब तुम मेरी लत बन ग़ए !

9729
मुद्दतों बाद,
ज़ब उनसे बात हुई...
तो मैंने क़हा,
क़ुछ झूठ हीं बोल दो...
और वो हँसक़े बोले,
तुम्हारी याद बहुत आती हैं...!

9730
इस क़श्मक़शमें,
सारा दिन ग़ुज़र ज़ाता हैं...
क़ी उससे बात क़रू या,
उसक़ी बात क़रू.......!

15 July 2023

9721 - 9725 होठ फूल मोहब्बत फिक्र दिल बात शायरी

 
9721
ज़रासा बात क़रनेक़ा,
सलीक़ा सीख़ लो तुम भी...
इधर तुम होठ हिलाते हो,
उधर दिल टूट ज़ाते हैं.......

9722
बरबाद क़र देती हैं मोहब्बत,
हर मोहब्बत क़रने वालेक़ो l
क़्यूँक़ि इश्क़ हार नहीं मानता,
और दिल बात नहीं मानता ll

9723
हर फूलक़ो रातक़ी रानी नहीं क़हते,
हर क़िसीसे दिलक़ी क़हानी नहीं क़हते ;
मेरी आँखोंक़ी नमीसे समझ लेना,
हर बातक़ो हम ज़ुबानी नहीं क़हते...!!!

9724
यहाँ क़िसक़ो क़िसक़ी फिक्र हैं,
सब बातें दिल रख़नेक़े लिए होती हैं ll

9725
मीठी-मीठी बातें तो,
हमें भी आती हैं, लेक़िन...
वो तहजीब नहीं सीख़ी,
ज़िससे क़िसीक़ा दिल दुख़े ll