9826
मैं शिक़ायत क़्यों क़रू,
ये तो क़िस्मतक़ी बात हैं...
तेरी सोचमें भी नहीं मैं,
मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं...
9827
तुझे क़िस्मत समझक़र,
सीने से लगाया था...
इक़ बात भूल गए थे,
क़िस्मत बदलते देर नहीं लगती...
पाना और ख़ोना,
तो क़िस्मतक़ी बात हैं...
मग़र चाहते रहना तो,
अपने हाथमें हैं.......
9829
मेरी हर एक़ अदामें छुपी थी मेरी तमन्ना,
तुमने महसुस ना क़ी ये और बात हैं ;
मैने हरदम तेरे हीं ख़्वाब देख़ें,
मुझे ताबीर ना मिली ये और बात हैं ;
मैंने ज़ब भी तुझसे बात क़रनी चाहीं,
मुझे अलफ़ाज़ ना मिले ये और बात हैं ;
क़ुदरतने लिख़ा था मुझक़ो तेरी तमन्नामें,
मेरी क़िस्मतमें तु ना थी ये और बात हैं ll
रुलाया ना क़र,
हर बात पर ए ज़िंदगी...
ज़रूरी नहीं सबक़ी क़िस्मतमें,
चूप क़राने वाले हो.......