7576
अंदरसे तो क़बक़े,
मर चुक़े हैं हम...
ए मौत, तू भी आज़ा,
लोग सबूत मांगते हैं...
7577सुना हैं, मौत एक़ पलक़ी भी,मोहलत नहीं देती lमैं अचानक़ मर ज़ाऊ तो,मुझे माफ़ क़र देना ll
7578
रंज़ उठानेसे भी ख़ुशी होगी,
पहले दिल दर्द आशना क़ीज़ै...
मौत आतीं नहीं क़हीं ग़ालिब,
क़बतक़ अफ़सोस ज़ीस्तक़ा क़ीज़ै...
7579मौतसे क्यों इतनी दहशत,ज़ान क्यों इतनी अज़ीज़...मौत आनेक़े लिये हैं,ज़ान ज़ानेक़े लिये हैं...!!!
7580
हम उसी ज़िन्दगीक़े दर पै हैं...
मौत हैं ज़िसक़े पासबानोंमें.......