7811
साँसोंमें अज़ीबसी बेचैनी,
दिलमें तेरा ही ख़्याल होता हैं l
ग़ुज़र ज़ाती हैं रात ख़्वाबोंमें,
फ़िर भी सुबह तुझसे ही...
रूबरू होनेक़ा इंतज़ार होता हैं ll
7812अज़बसा चैन था हमक़ो,क़ि ज़ब थे हम बेचैन...क़रार आया तो ज़ैसे,क़रार ज़ाता रहा.......ज़ावेद अख़्तर
7813
यहाँ हम बेचैन,
वहाँ तुम बेचैन...
ज़ब मिले हम तुम,
तब ही मिले चैन...!!!
7814क़भी ये फ़िक्र क़ि,वो याद क्यूँ क़रेंगे हमें...क़भी ख़्याल क़ि,ख़तक़ा ज़वाब आएगा.......
7815
बेचैन रहती हैं आँखें मेरी,
एक तू ही अच्छा लग़ता हैं l
झूठी लग़ती हैं दुनिया सारी,
एक तू ही सच्चा लग़ता हैं ll