2196
सिखा दी बेरुखी भी,
ज़ालिम ज़मानेने तुम्हें,
कि तुम जो सीख लेते हो,
हम पर आज़माते हो...
2197
महसूस हो रही हैं,
फ़िज़ामें उसकी खुशबु,
लगता हैं मेरी यादमें,
वो साँसले रहे हैं.......
2198
कभी बेपनाह बरसी,
तो कभी गुम सी हैं...
ये बारिशें भी कुछ कुछ,
तुमसी हैं.......!
2199
“काश आज,
ऐसी बारिश बरसे,
जो तेरी यादोंको भी,
बहा ले जाए.......!”
2200
ये मशवरा हैं,
दिलको पत्थर बनाके रख ,
ये आईना ही रहा
तो ज़रूर टूटेगा........