7 January 2018

2186 - 2190 दिल दुनियाँ याद गम तन्हाई परच्छाई काग़ज बारीश ख्वाहिश आँख दिल्लगी आवारा आँसू पलक शायरी


2186
याद करते हैं आपको तन्हाईमें,
दिल डूबा हैं गमोंकी गहराईमें,
हमे मत ढूँढो दुनियाँकी भीड़में,
हम मिलेंगे तुम्हे, तुम्हारी ही परच्छाईमें...

2187
अबकी बारीशसे कह दो,
तुम्हारी याद साथ बहा कर ले जाये;
लिखती हूँ जो काग़जपें,
वो सारे ज़ज्बात बहाकर ले जाये...

2188
ख़्वाहिश इतनी हैं बस क़ि,
क़ुछ ऐसा मेरा नसीब हो…
वक्त अच्छा हो या बुरा,
बस तू मेरे क़रीब हो...!

2189
तुम्हारी दिल्लगी देखो,
हमारे दिलपर भारी हैं...
तुम तो चल दिए हंसकर,
यहाँ बरसात अब भी जारी हैं... !

2190
आँखोंकी गलीमें,
कोई आवारासा आँसू..
पलकोंसे तेरे घरका
पता पूछ रहा हैं.......

No comments:

Post a Comment