22 January 2018

2261 - 2265 वक्त इशारा नफरत गुजर दुश्मन खेमे याद बात छांव धूप तेज कत्ल लम्बी उम्र साज़िश शायरी


2261
मुझसे नफरत करने वालो,
एक काम करो,
सुधर जाओ नहीं तो,
गुजर जाओ !!

2262
दुश्मनके खेमेमें चल रही थी,
मेरे कत्लकी साज़िश...
मैं पहुंचा तो बोले,
"यार तेरी उम्र बहुत लम्बी हैं"।

2263
पेड़ काटने आये हैं कुछ लोग,
मेरे शहरमें ... !
अभी धूप बहुत तेज हैं कहकर,
उसकी छांवमें बैठे हैं .....!

2264
मैं खुश हूँ कि,
कोई मेरी बात तो करता है...
बुरा कहता हैं तो क्या हुआ,
वो याद तो करता हैं...!

2265
वक्त इशारा देता रहा,
हम इत्तेफाक़ समझते रहे;
बस यूँ ही धोखे खाते रहे,
और इस्तेमाल होते रहे !

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