13 January 2018

2216 - 2220 इश्क़ तमन्ना वफ़ा मोहब्बत याद बारिश आँख आँसु लकीर तकदीर तस्वीर फ़रमाईश इबादत शायरी


2216
सुना हैं बहुत बारिश हैं तुम्हारे शहरमें,
ज़्यादा भीगना मत ,
अगर धुल गयी सारी ग़लतफ़हमियाँ,
तो बहुत याद आएँगे हम...!

2217
आँखोंमें आँसुओंकी लकीर बन गयी;
जैसी चाहिए थी वैसी तकदीर बन गयी;
हमने तो सिर्फ रेतमें उंगलियाँ घुमाई थी;
गौरसे देखा तो आपकी तस्वीर बन गयी।

2218
मैं फ़रमाईश हूँ उसकी,
वो इबादत हैं मेरी,
इतनी आसानीसे कैसे,
निकाल दूँ उसे अपने दिलसे,
मैं ख्वाब हूँ उसका,
वो हकीकत हैं मेरी।

2219
बहाना कोई ना बनाओ तुम,
मुझसे खफा होनेका...
तुम्हें चाहनेके अलावा,
कोई गुनाह नहीं हैं मेरा...।"

2220
"आरज़ू, अरमान, इश्क़,
तमन्ना, वफ़ा, मोहब्बत,
चीज़ें तो अच्छी हैं...
पर दाम बहुत हैं......."

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