29 January 2018

2276 - 2280 आँखें शतरंज उसूल तसल्ली चाल मुहब्बत मिजाज नसीब पसन्द शायरी


2276
रखलो आईने,
हज़ार तसल्लीके लिए.....
पर सचके लिए,
आँखें तो मिलानी पड़ेंगी.......

2277
शतरंजका एक उसूल,
बहुत ही उम्दा हैं...
चाल कोई भी चलो,
पर... अपनोंको नहीं मार सकते !!!

2278
काश मेरा घर,
तेरे घरके करिब होता,
मुहब्बत ना सही...
देखना तो नसीब होता.......!

2279
आज मिजाज अच्छा हैं हमारा...
सितम करना हो तो लौट आओ...

2280
अकेला छोड़ दो मुझे,
या फिर मेरे हो जाओ ।
यूँ मुझे पसन्द नहीं,
कभी पाना और कभी खोना ....॥

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