2256
नहीं मिला कोई,
तुम जैसा आज तक...
पर ये सितम अलग हैं की,
मिले तुम भी नहीं......
2257
" रात तो पाबंद हैं,
वक्तपर लौट आती हैं रोज़...
नींद ही आवारा हो गयी हैं,
आज कल..."
2258
लफ़्ज़ोंके बोझसे,
थक जाती हैं ज़ुबाँ कभी-कभी...
पता नहीं ख़ामोशी,
मज़बूरी हैं... या समझदारी...!
2259
तुमको आता हैं,
प्यारपर गुस्सा,
हमको आता हैं,
तुम्हारे गुस्सेपर बहुत !!!
2260
वो तो आँखें थी,
जो सब सच बयाँ कर गयी ...
वरना लफ्ज होते तो,
कबके मुकर गए होते... !
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