18 January 2018

2241 - 2245 दिल मुहब्बत चेहरा आईना झूठ होठ मुस्कान दर्द मुसाफिर जख्मी रस्ते गवाह दुश्मन शायरी


2241
कौन कहता हैं...
आईना झूठ नहीं बोलता ;
वह सिर्फ होठोकी मुस्कान देखता हैं,
दिलका दर्द नहीं...!

2242
आईना आज फिर...
रिशवत लेता पकडा गया ;
दिलमें दर्द था और,
चेहरा हंसता हुआ पकडा गया...!

2243
कौन कहता हैं...
मुसाफिर जख्मी नहीं होते ;
रस्ते गवाह हैं,
कम्बख्त गवाही नहीं देते ...!

2244
वो दुश्मन बनकर ,
मुझे जीतने निकले थे...
मुहब्बत कर लेते ,
मैं खुद ही हार जाता...!

2245
वो दुश्मन बनकर,
तब हुआ जब...
मैने कहा "ठीक हूँ"
और उसने मान भी लिया...!

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