19 January 2018

2246 - 2250 मोहब्बत ख़ामोशी नजर वक़्त जहर जरूरत रूबरू सलीका बयाँ कदर यकीं शायरी


2246
अगर तुम्हें यकीं नहीं,
तो कहनेको कुछ नहीं मेरे पास,
अगर तुम्हें यकीं हैं,
तो मुझे कुछ कहनेकी जरूरत नहीं !

2247
चलो अब जाने भी दो ,
क्या करोगे दास्ताँ सुनकर...
ख़ामोशी तुम समझोगे नहीं,
और बयाँ हमसे होगा नहीं !!!

2248
चले जायेंगे आपको,
आपके हालपर छोड़कर...
कदर क्या होती हैं,
आपको वक़्त सिखा देगा !

2249
जहरसे खतरनाक हैं,
यह मोहब्बत,
जरासा कोई चखले,
तो मरमरके जीता हैं !

2250
नजरोंसे दूर होकर भी,
यूँ तेरा रूबरू रहना;
किसीके पास रहनेका सलीका हो,
तो तुमसा हो...

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