20 May 2019

4276 - 4280 साझा गजब सजा जुर्म बरकत हासिल याद तड़प इश्क़ शायरी


4276
गर हो जाए इश्क़...
तो हमसे साझा कर लेना। 
कुछ हम रख लेंगे...
कुछ तुम रख लेना।।

4277
इश्क़से बचके रहो,
गजबका काजी हैं...
खुद ही देता हैं सजा,
जुर्म करवा - करवाके.....

4278
बङी बरकत हैं,
तेरे इश्क़में...
जबसे हुआ हैं,
बढता ही जा रहा हैं...!

4279
मालूम था, मालूम हैं की,
कुछ भी नहीं हासिल होगा...
लेकिन,
वो इश्क़ ही क्या जिसमें,
ख़ुदको तड़पाया ना जाये.....

4280
कितने दिन गुजर गए और तुमने...
याद तक ना किया...
मुझे नहीं पता था की,
इश्क़में छुट्टिया भी होती हैं.......!

4271 - 4275 आईना मजा दर्द हुस्न दवा वादा सनम लफ्ज नाम साँस सादगी एहसास तड़प इश्क़ शायरी


4271
आईना हो जाये मेरा इश्क़,
उसके हुस्नका;
क्या मजा हो दर्द गर,
खुद ही दवा देने लगे...!

4272
ये शायरीयाँ कुछ और नहीं,
बेइंतहा इश्क़ हैं...
तड़प सनमकी उठती हैं और,
दर्द लफ्जोमें उतर आता हैं...

4273
तेरे इश्क़में खुदको,
इस कदर भुला लिया...
कि किसीने मुझसे मेरा नाम पूछा,
मैने तेरा बता दिया.......!

4274
इतनी सादगीसे किया उसने,
इश्क़से इन्कार...
कि साँस भी ना रुकी,
और मौतका एहसास हो गया...!

4275
इश्क़ वो हैं,
जब मैं शाम होनेपर मिलनेका वादा करूं;
और वो दिनभर...
सूरजके होनेका अफसोस करे.......!

19 May 2019

4266 - 4270 वफ़ा नादाँ किताब आतिश फिरदौस जहन्नुम हाल इजहार इश्क़ शायरी


4266
चलो मान लिया,
नहीं आता हमे,
इजहार--इश्क़ करना...
पर शायरियोंको,
ना समझ सको...
इतने नादाँ तो तुम भी नहीं...!

4267
कुछ मुड़े - मुड़ेसे हैं,
किताब--इश्क़के पन्ने...
ये कौन हैं.......
जो हमारे बाद पढता हैं...!!!

4268
आतिश--इश्क़ वो जहन्नुम हैं,
जिसमें फिरदौसके नजारे हैं...

4269
इश्क़में जिसने भी,
बुरा हाल बना रखा हैं    
हीं कहता हैं अजी,
इश्कमें क्या रखा हैं ।।

4270
हम भी बिकने गए थे,
बाज़ार--इश्क़में फराज...
क्या पता था,
वफ़ा करने वालोको...
लोग खरीदा नहीं करते.......

18 May 2019

4261 - 4265 मोहब्बत अफवाह आशिक याद फर्क बद्तमीज बेहया बेदर्द बेखबर इश्क़ शायरी


4261
अफवाह थी कि,
मुझे इश्क़ हुआ हैं...
लोगोंने पूछ पूछकर,
आशिक बना दिया.......!

4262
'इश्क़ और मोहब्बत क्या हैं,
मुझे नहीं मालुम...
बस तुम्हारी याद आती हैं,
सीधीसी बात हैं.......!'

4263
"तुमसे" मिलने और,
"तुझमें" मिलनेका जो...
फर्क हैं ना...
वही "इश्क़" हैं.......!

4264
बद्तमीज, बेहया, बेदर्द, होता हैं...
सुन बेखबर...
इश्क़ फिर भी...
इश्क़ होता हैं.......!

4265
इश्क़में अगर,
खाक ना हुए...
तो क्या खाक,
इश्क़ किया तुमने.......?

17 May 2019

4256 - 4260 नींद दवा कोहरा नज़दीक नादान तकदीर सजा किस्मत लकीरें इश्क़ शायरी


4256
नींद आनेकी,
दवाईयाँ हजार हैं...
ना आनेके लिए,
इश्क़ काफी हैं...!

4257
इश्क़ हुआ,
कोहरा हो जैसे;
तुम्हारे सिवा,
कुछ दिखता ही नहीं...

4258
हीं इश्क़ हैं शायद...
नज़दीक नहीं तुम मेरे...
पर मैं तुमसे दूर नहीं...

4259
खुदा तु भी कारीगर निकला...
खीच दी दो-तीन लकीरें हाथों मे...
और ये नादान इंसान उसे,
तकदीर समझ बैठा.......!

4260
हाथकी लकीरें सिर्फ,
सजावट बयाँ करती हैं...
किस्मत अगर मालूम होती,
तो मेहनत कौन करता.......!

16 May 2019

4251 - 4255 मिज़ाज यार कमाल बेखबर चेहरे मोहब्बत रूह नीलाम जंजीर कैद प्यार इश्क़ शायरी


4251
"वो अच्छा हैं, तो अच्छा हैं...
बुरा हैं, तो भी अच्छा हैं...
मिज़ाज--इश्क़में,
ऐब--यार देखे नहीं जाते...!"

4252
ये इश्क़ हैं जनाब...
जिसमें इंसान निखरता भी कमाल हैं,
और बिखरता भी कमाल हैं.......

4253
कौन कहता हैं,
चेहरेसे इश्क़ होता हैं...
हमने बेखबर सायेसे,
मोहब्बतकी हैं.......!

4254
रूह तक नीलाम हो जाती हैं,
इश्क़के बाज़ारमें...
इतना आसान नहीं होता,
किसीको अपना बना लेना...!

4255
मेरे प्यारको कभी,
जंजीर ना समझना...
जो खुद तेरे इश्क़की कैदमें हो,
वो तुझे क्या बांधेगा.......!

14 May 2019

4246 - 4250 जिंदगी बेइन्तहा चमक याद रिश्ता घाव लगाव गुज़ारिश साँस सिफ़ारिश महक शायरी


4246
कुछ सितारोंकी चमक नहीं जाती,
कुछ यादोंकी खनक नहीं जाती;
कुछ लोगोंसे होता है ऐसा रिश्ता, 
कि दूर रहके भी उनकी महक नहीं जाती।

4247
आज तो जमके बरसे शायर...
वाह !
जिंदगीकी जमीं महक उठी...!

4248
तू बेइन्तहा बरसके तो देख...
मिट्टीका बना हूँ महक उठूंग...!

4249
शब्द महके तो लगाव करते हैं,
और...
शब्द बहके तो घाव करते हैं.......

4250
नाराज़ ना होना कभी,
बस यहीं एक गुज़ारिश हैं; 
महकी हुई इन साँसोंकी,
साँसोंसे सिफ़ारिश हैं

13 May 2019

4241 - 4245 लफ्ज़ इत्र जिक्र तलब बेवजह ख्याल फूल काँटे झूठ मुलाकात संगत महक शायरी


4241
लबोपर लफ्ज़ भी अब,
तेरी तलब लेकर आते हैं...
तेरे जिक्रसे महकते हैं और,
तेरे सजदेमें बिखर जाते हैं...!

4242
वो इत्रकी शिशीयाँ,
बेवजह इतराती हैं खुदपर...!
हम तो तेरे ख्यालोंसे ही,
महक जाते हैं.......!!!

4243
किसी गुलाबसे कोई,
मतलब नहीं मुझे...
आप और सिर्फ आप ही,
महकते हो मुझमें...!

4244
काँटोंको गाली दे रहे हो जनाब...
लगता हैं फूलोकी महकसे,
आपकी मुलाकात नहीं हुई...

4245
झूठ कहते हैं कि,
संगतका हो जाता हैं असर...
काँटोंको तो आज तक,
महकनेका सलीका नहीं आया...!

10 May 2019

4236 - 4240 नज़दीक हडताल मुस्कुरा बेशक बात दामन सूरत आँसु लकीरें खुशनसीब खुशबू शायरी


4236
तुम्हारी नज़दीकियाँ चाहता हूँ,
बिलकुल वैसे, जैसे हवामें खुशबू...!

4237
हवाए हडतालपर हैं शायद...
आज तुम्हारी खुशबू नही आयी.......

4238
जब तुम खुश होकर मुस्कुराते हो,
तो हम तुम्हें देखकर मुस्कुराते हैं...!
बेशक तुम मुस्कुरा लेती हों गैरोंके साथ...
मगर जब बात आँसुओंकी होती हैं,
तब दामन मेरा तलाशते हों.......!

4239
अपने हाथोंकी लकीरें,
बदल पाया...
खुशनसीबोसे बहुत,
हाथ मिलाये हमने...
 ​
4240
जबसे छूटा हैं गांव,
वो मिट्टीकी खुशबू नहीं मिलती...
इस भीड़ भरे शहरमें,
अपनोंकी सी सूरत नहीं मिलती...।

9 May 2019

4231 - 4235 जमाना तकलीफ नाम ख़्वाब मिज़ाज तरीका आदत वक्त कामयाब खुश शायरी


4231
बदल जाए चाहे सारा जमाना,
पर ना बदलना तुम कभी;
ख़्वाबोंके खुशनुमा शहरमें,
मिलने आना तुम कभी...!

4232
कोई कितना ही,
खुश-मिज़ाज क्यों  हो...
रुला देती हैं किसीकी,
कमी कभी-कभी...!

4233
हर किसीको खुश रख सकूँ,
मुझे वो सलीका नहीं आता 
क्यूंकि शायद मुझेजो मैं नहीं हूँ
वो दिखानेका तरीका नहीं आता 

4234
वक्तकी एक आदत बहुत अच्छी हैं,
जैसा भी हो गुजर जाता हैं 
कामयाब इंसान खुश रहे ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता हैं 

4235
"दुनिया उन्हीकी खैरियत पूछती हैं,
जो पहलेसे ही खुश हों;
जो तकलीफमें होते हैं,
उनके तो नाम तक भूल जाते हैं...

8 May 2019

4226 - 4230 फितरत बात प्यार मुस्कुरा दुआ समझ रुखसार रिश्ते बेहतर महक खुश शायरी


4226
खुश रहना हो तो,
अपनी फितरतमें...
एक बात शुमार कर लो...!
ना मिले कोई अपने जैसा,
तो खुदसे प्यार कर लो.......!

4227
मुस्कुराना तो मेरी,
शक्सियतका हिस्सा हैं यारों...
तुम मुझे खुश समझकर,
दुआओंमें भूल मत जाना...!

4228
"मैं तेरे रुखसारका रंग हूँ...
जितना तुम खुश रहोगे...
उतना मैं सवर जाऊँगा...!"

4229
हम फूल तो नहीं,
पर महकना जानते हैं;
बिना रोये गम भुलाना जानते हैं...
लोग खुश होते हैं हमसे क्योकि,
हम बिना मिले ही...
रिश्ते निभाना जानते हैं...!

4230
बेहतर इन्सान आप तब होते हैं,
जब आप खुश होते हैं...
और...
बेहतरीन इन्सान आप तब होगे,
जब लोग आपसे खुश होगे.......!