4486
खुदा जाने कौनसा गुनाह,
कर
बैठे हैं हम
कि...
तमन्नाओ
वाली उम्रमें,
तजुर्बे मिल रहे
हैं.......
4487
तमन्ना तो हर
एक,
पंखुडीको सजाके
रखनेकी
थी...
पर अफसोस की
तुमने,
कोई फूल
दिया ही नहीं.......
4488
सोचनेसे कहाँ
मिलते हैं,
'तमन्नाओं
के शहर'...
'चलनेकी जिद' भी जरुरी हैं,
मंजिलोंके लिए.......!
4489
"मेरी हर एक
अदामें छुपी
थी मेरी तमन्ना,
तुमने महसुस
ना की ये
और बात हैं;
मैने हरदम
तेरे ही ख्वाब
देखें,
मुझे ताबीर ना मिली
ये और बात
हैं;
मैने जब भी
तुझसे बात
करनी चाही,
मुझे अलफाज़ ना मिले
ये और बात
हैं;
कुदरतने लिखा
था मुझको तेरी
तमन्नामें,
मेरी किस्मतमें तु
ना थी ये
और बात हैं...”
4490
ये रुखसार पीलेसे
लगते हैं ना,
उदासीकी हल्दी
हैं हट जाएगी...
तमन्नाकी लालीको पकने तो
दो,
ये पतझड़की छाँव
छंट जाएगी...!
गुलजार