10 October 2019

4851 - 4855 जिंदगी दुनिया यादें नक़ाब जहाँ खुशी साथ शायरी


4851
तुम कहो या ना कहो,
मगर मुझे मालूम हैं...
शामके साथ ये यादें,
मेरी तरह तुम्हें भी सताती हैं...!

4852
अब हटा दे नक़ाब अपना,
हमें मुरीद हो जाने दे...
आज सारे जहाँके साथ,
मेरी भी ईद हो जाने दे...!

4853
आज परछाईसे पूछ ही लिया,
क्यों चलती हो मेरे साथ...
उसने भी हँसके कहा,
दूसरा कौन हैं तेरे साथ...?

4854
तुम साथ,
बैठे रहो मेरे, बस...
बाकी दुनियाकी खुशी,
किसे चाहिए.......!

4855
वो दिन जो गुजारे,
तुम्हारे साथ...
काश जिंदगी,
उतनी ही होती...!

8 October 2019

4846 - 4850 इश्क क़त्ल मौत जान जुदाई मोहब्बत बहाना हिज्र वक़्त दुआ ज़िन्दगी शायरी


4846
ज़िन्दगी भी यहाँ,
क़त्ल करती हैं अक्सर;
मौतने जाने कितनोकी,
जान बक्शी है.......!


4847
इश्क तुझसे करता हूँ मैं ज़िन्दगीसे ज्यादा,
मैं डरता नहीं मौतसे तेरी जुदाईसे ज्यादा l
चाहे तो आजमा ले मुझे किसी औरसे ज्यादा,
मेरी ज़िन्दगीमें कुछ नहीं तेरी मोहब्बतसे ज्यादा ll

4848
मेरी ज़िन्दगी तो गुजरी,
तेरे हिज्रके सहारे...
मेरी मौतको भी,
कोई बहाना चाहिए...।

4849
वक़्त चलता रहा,
तकलीफ सिमटती गई...
मौत बढ़ती गई,
ज़िन्दगी घटती गई...!
4850
किसीने खुदासे दुआ मांगी,
दुआमें अपनी मौत मांगी..
खुदाने कहा, मौत तो तुझे दे दु मगर,
उसे क्या हूँ जिसने तेरी ज़िन्दगीकी दुआ मांगी...!
                                                              गुलजार

4841 - 4845 जिंदगी समझ सजदे माशूका नसीब शर्तें कबूल यकीन मौत शायरी



4841
क्या ख़ुशमिजाज़ीसे,
नसीब लिखा हैं मेरा ख़ुदाने...
के मेरी जिंदगी मेरी दीलरुबा हैं,
और मेरी मौत भी होगी मेरी माशूका...!

4842
शर्तें नहीं लगाई जाती,
जिंदगीके साथ...
कबूल हैं मौत भी,
सब खामियोंके साथ...!

4843
तुम ये मत समझना की,
मुझे कोई नहीं चाहता...
तुम छोड़ भी दोगे तो,
मौत खड़ी हैं अपनानेके लिए...!

4844
काश तू मेरे लिये,
मौत होती...
यकीन तो होता,
की तू आयेगी ज़रूर...!

4845
मौत, तू तब आना,
जब मैं सजदेमें रहूँ...
तुझे आनेमें मजा आये,
और मुझे जानेमें.......!

7 October 2019

4836 - 4840 जिंदगी जहर शिकायत आँख बातें निगाह तारीफ अफवाह मौत शायरी


4836
सिर्फ जहर ही,
मौत नहीं देता...
कुछ लोगोंकी बातें ही,
काफी होती हैं...

4837
शिकायत मौतसे हीं,
अपनोंसे हैं साहब...
जरासी आँख क्या लगी,
कब्र खोदने लगे.......

4838
सारी उम्र तो कोई,
जीनेकी वजह नहीं पूछता...
लेकिन मौतवाले दिन,
सब पूछते है कि कैसे मरे...

4839
बातें ना सुन पाते उनकी,
लगती ये जिंदगी बंजर हैं...
निगाहसे ही करदे वो बया,
हाय अल्लाह, मौत भी मंजूर हैं...

4840
मिल जाएँगे हमारी भी,
तारीफ करने वाले...
कोई हमारी मौतकी,
अफवाह तो फैलाओ.......!

5 October 2019

4831 - 4835 जिन्दगी जश्न खुशियाँ उम्र शौक रिश्ते बात आँख खयाल अंजाम शायरी


4831
हैं होश जब तक जिन्दगीमें,
जश्न होना चाहिए...
खुशियाँ बन जायें राधिका, 
मन कृष्ण होना चाहिए...!

4832
उम्रको हराना हो तो,
शौक सदा ज़िंदा रखिए...
घुटने चलें ना चलें,
मन उड़ता परिंदा रखिए...!

4833
रिश्ते मनसे बनते हैं बातोंसे नहीं,
कुछ लोग बहुतसी बातोंके बाद भी,
अपने नहीं होते...
और कुछ शांत रहकर भी अपने बन जाते हैं...!


4834
बात जूबाँपर लानेसे पहले, 
हमारी आँखोंसे बयाँ होती हैं...
मनकी कानोंसे इसे आप सुने,
तो कोई बात हो.......!
भाग्यश्री

4835
तुम इस कदर मेरे,
खयालोंका खयाल रख रहे हो...
मानो खयाल मेरे मनमे उभरनेसे पहले ही,
उसे अंजाम दे रहे हो.......!
                                                          भाग्यश्री

4 October 2019

4826 - 4830 जिन्दगी शुक्रिया ख्वाहिश तस्वीर अनजान रंग तकदीर अंजुमन लब शायरी


4826
शुक्रिया कैसे कहेने आपको,
जो बात कही आपने...
सच लगने लगी मनको...!

4827
मन ख्वाहिशोंमें अटका रहा,
और ज़िन्दगी हमे जी कर चली गयी...!

4828
तुमसे बातें करनेका मन हैं,
लेकिन करनेको कोई भी बात नहीं हैं...!

4829
जिन्दगी तस्वीर भी हैं और तक़दीर भी
फर्क तो सिर्फ रंगोंका होता हैं,
मनचाहे रंगोंसे बने तो तस्वीर,
और अनजाने रंगोंसे बने तो तकदीर...!

4830
हर शख्श खफा मुझसे,
अंजुमनमें था...
क्योंकि मेरे लबपर वही था,
जो मेरे मनमें था...!

3 October 2019

4821 - 4825 जिन्दगी इज़हार इकरार मोहब्बतें शिकायत उम्र किताब दामन गुरूर दौर शायरी


4821
इज़हारसे इकरारके दरमियानही,
लुत्फ़ देती हैं मोहब्बतें...
बाद कुबुलियतके शिकवो शिकायतोंका,
दौर हुआ करता हैं.......

4822
चंद पन्ने क्या फटे,
ज़िन्दगीकी किताबके साहिब...
कुछ लोगोंने समझा,
हमारा दौर ही ख़त्म हो गया.......

4823
चाहे जिधरसे गुज़रिये,
मीठीसी हलचल मचा दिजिये;
उम्रका हर एक दौर मज़ेदार हैं,
अपनी उम्रका मज़ा लिजिये...!

4824
"मंज़र" धुंधला हो सकता हैं, 
"मंज़िल" नहीं...
"दौर" बुरा हो सकता हैं,
"ज़िंदगी" नहीं.......!

4825
साफ़ दामनका दौर तो,
कबका खत्म हुआ साहब...
अब तो लोग अपने धब्बोंपर,
गुरूर करने लगे हैं.......

2 October 2019

4816 - 4820 सिलसिले उमीद फ़ासले कोशिश फुरसत उड़ान समय महसूस क़रीब शायरी


4816
एक सिलसिलेकी उमीद थी जिनसे,
वही फ़ासले बनाते गये...
हम तो पास आनेकी कोशिशमें थे,
जाने क्यूँ वो दूरियाँ बढ़ाते गये...

4817
तुम्हे कहाँ फुरसत थी,
मेरे पास आनेकी फराज...
हमने तो बहुत इत्तला की,
अपने गुज़र जानेकी...

4818
जिन्हे आना हैं वो खुद,
लौट आयेंगे तेरे पास...
बुलाने पर तो परिंदे भी,
गुरुर करते हैं अपनी उड़ान पर...!

4719
वो भी क्या दिन थे,
जब घड़ी एकादके पास होती थी...
और समय सबके पास.......!

4820
रेलमें खिड़कीके पास बैठके,
हर दफ़ा महसूस हुआ हैं...
जो जितना ज्यादा क़रीब हैं,
वो तेजीसे दूर जा रहा हैं.......

4811 - 4815 चेहरा गम रंग बातें यादें रिश्ता मोहब्बत फुरसत दुरियाँ करीब पास शायरी


4811
तेरा चेहरा, तेरी बातें,
तेरा गम, तेरी यादें...
इतनी दौलत,
पहले कहाँ थी पास मेरे...!

4812
दुरियाँ खलती हैं मुझे,
इतने करीब रिश्तोंमें;
कि भी जाओ मेरे पास,
यु ना मोहब्बत दो मुझे किश्तोमें...!

4813
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो...!
मेरे पास तो मैं भी नही.......!!!

4814
नस नसमें हैं तू,
बस मेरे पास नही हैं तू...

4815
सुनो... फुरसत मिले तो,
चले आओ मेरे पास...
देखो रंगमें रंगनेका,
दिन भी गया.......!

1 October 2019

4806 - 4810 ज़िन्दगी खुदगर्ज गुनाह मोहब्बत ऐतबार एहसान फ़ना महफूज़ कबूल शायरी


4806
ज़िन्दगी कभी भी ले सकती हैं करवट,
तू गुमां कर...
बुलंदियाँ छू हजार मगर...
उसके लिए कोई 'गुनाह'  कर...!

4807
इतनी मोहब्बत ना सीखा खुदा...
तुझसे ज्यादा उसपर ऐतबार हो जाये;
दिल तोड़कर जाये वो मेरा...
और तू गुनाहगार हो जाये.......

4808
ख़ुदाकी मोहब्बतको फ़ना कौन करेगा,
सभी बन्दे नेक हों तो गुनाह कौन करेगा...
ख़ुदा मेरे दोस्तोंको सलामत रखना,
वरना मेरी सलामतीकी दुआ कौन करेगा...
और रखना मेरे दुश्मनोंको भी महफूज़,
वरना मेरी तेरे पास आनेकी दुआ कौन करेगा...!

4809
हर गुनाह,
कबूल है हमें...
बस सजा देने वाला,
बेगुनाह हो.......!

4810
खुदगर्जकी बस्तीमें,
एहसान भी एक गुनाह हैं...
जिसे तैरना सिखाया,
वही डुबानेको तैयार रहता हैं...