26 October 2019

4931 - 4935 खुशियाँ फरेब उदासी रूसवाई आबरू मर्ज़ इलाज़ वक्त शिकायते जिंदगी शायरी


4931
थोड़ी खुशियाँ,
चखा दे जिंदगी...
हमने कौनसा यहाँ,
रोजा रखा हैं.......!

4932
वैसे तो जिंदगी,
तुझमें फरेब है, उदासी है, रूसवाई है;
पर हमने भी हर बार,
मुस्कुराकर तेरी आबरू बचाई है...!

4933
जिंदगीने मेरे मर्ज़का,
एक बढीया इलाज़ बताया;
वक्तको दवा कहा और,
मतलबियोका परहेज बताया...

4934
जिंदगी मुझको,
"सा रे म" सुना कर
गुदगुदाती रही...
मैं कम्बख़्त उसको,
"सारे गम" समझ कर
कोसता रहा.......

4935
"शिकवे मुझे भी
जिंदगीसे है साहब...
पर मौजमें जीना है !
इसलिए शिकायते नहीं करता...

24 October 2019

4926 - 4930 मोहब्बत मजाक साँस जखम बाजी ताल्लुकात दांव जिंदगी शायरी


4926
मोहब्बत जिंदगी बदल देती है,
मिल जाये तो भी;
ना मिले तो भी.......

4927
मजाक मजाकमें ही,
शुरु हो गयी थी मोहब्बत...
अब तो जिंदगी,
मजाक बनके रह गयी...

4928
ज़रासी मोहब्बत क्या पी ली...
जिंदगी अबतक
लडखडा रही है.......!

4929
साँस लेता हुँ तो,
जखमोंको हवा लगती है...
जिंदगी अब तू ही बता,
तू मेरी क्या लगती है...


4930
तुम्हारा क्या है,
तुम्हें तो बाजी जितनेसे बस,
ताल्लुकात है...
ये खेल है मेरी जिंदगीका,
के मेरा जो कुछ है,
दांव पर है.......!

4921 - 4925 मोहब्बत ख़्याल सनम बेपनाह साँस फुरसत खुशियाँ किस्सा उल्फत जिंदगी शायरी


4921
तुम कभी भी,
मोहब्बत आजमाके देखना मेरी...
हम जिंदगीसे हार जायेंगे,
मोहब्बतसे नहीं.......!

4922
तुम सोचो और ख़्याल पूरा हम करेंगे,
मोहब्बतमें दो रंग और ज्यादा भरेंगे;
तुझे अपनी जिंदगी माना है सनम,
आखरी साँसतक मोहब्बत बेपनाह करेंगे...

4923
यूँ तो काफी मिर्च-मसाले हैं,
इस जिंदगीमें...
तुम्हारे बिना जायका फिर भी,
फीका ही लगता हैं.......!

4924
ख़त्म कर दी थी जिंदगीकी,
सारी खुशियाँ तुमपर...
कभी फुरसत मिले तो सोचना की,
मोहब्बत किसने की थी.......!

4925
ना छेड़ किस्सा वह उल्फतका,
बड़ी लम्बी कहानी हैं;
मैं जिन्दगीसे नहीं हारा,
किसी अपनेकी मेहरबानी हैं...

23 October 2019

4916 - 4920 दिल सफर अरमान हाल हौसलें गुनाह करवट सपने जिंदगी शायरी जिंदगी शायरी



4916
"ज़िन्दगी कभीभी ले सकती हैं करवट,
तू गुमान कर...
बुलंदियाँ छू हज़ार... मगर,
उसके लिए कोई 'गुनाह' कर...!

4917
एक सपनेके टूटकर,
चकनाचूर होनेके बाद;
दूसरा सपना देखनेके हौसलेंको,
"जिंदगी" कहते हैं...

4918
"सफरका मजा लेना हो तो,
साथमें सामान कम रखिए और...
जिंदगीका मजा लेना हैं तो,
दिलमें अरमान कम रखिए...!

4919
मालूम सबको हैं,
कि जिंदगी बेहाल हैं...
लोग फिर भी पूछते हैं,
और सुनाओ क्या हाल हैं.....

4920
जो मांगू वो दे दिया कर...
ज़िन्दगी,
तू बस मेरी,
माँ की तरह बन जा,,,

22 October 2019

4911 - 4915 हासिल अज़ाब ख़्वाब पलक तकदीर मकसद अंजाम मोहताज जिंदगी शायरी


4911
कहाँ-कहाँसे इकट्ठा करूँ,
ज़िंदगी तुझको...
जिधर भी देखूँ,
तू ही तू बिखरी पड़ी हैं.......!

4912
"अच्छी ज़िन्दगी जीनेके दो तरीके हैं...
जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो,
या फिर जो हासिल हुआ हैं...
उसे पसंद करना सीख लो...!"

4913
इसी सबबसे हैं शायद,
अज़ाब जितने हैं...
झटकके फेंक दो,
पलकोंपे ख़्वाब जितने हैं...!
(अज़ाब = दुःख, संकट, विपत्ति)

4914
तकदीरें बदल जाती हैं,
जब ज़िन्दगीका कोई मकसद हो;
वरना ज़िन्दगी तो कट ही जाती हैं,
तकदीरको अंजाम देते देते.......

4915
हो सके तो सबको,
माफ करके सोया करों...
जिन्दगी कलकी,
मोहताज नहीं होती...!

21 October 2019

4906 - 4910 हिसाब किताब सितम ज़ख्म ज़िम्मेदारी बाज़ार ज़िन्दगी शायरी


4906
हिसाब किताब हमसे ना पूछ,
अब  ज़िन्दगी...
तूने सितम नहीं गिने,
तो हमने भी ज़ख्म नहीं गिने...!

4907
ज़िन्दगीमें एक दूसरेके जैसा,
होना ज़रूरी नहीं होता...
एक दूसरेके लिए होना,
ज़रूरी होता हैं.......!

4908
क्या बेचकर हम तुझे खरीदें,
ज़िन्दगी...
सब कुछ तो गिरवी पड़ा हैं,
ज़िम्मेदारीके बाज़ारमें...

4909
मिलता तो बहुत कुछ हैं,
इस जिन्दगीमें,
बस हम गिनती उसीकी करते हैं...
जो हासिल हो सका.......

4910
"इतना क्यों सिखाए,
जा रही हो ज़िन्दगी...
हमें कौन सी,
सदियाँ गुज़ारनी हैं यहाँ..."

19 October 2019

4901 - 4905 मुनाफ़ा गहरे सौदा नज़ारा शोहरतें फुर्सत हिसाब ख़्वाहिश गम ज़िन्दगी शायरी


4901
ज़लज़ले भी बड़े गहरे हैं,
ज़िन्दगीके साहब​...
लोग अक्सर छोड़ जाते हैं,
अपना कहकर.......

4902
सिर्फ यारियाँ ही रह जाती हैं मुनाफ़ा बनके,
वर्ना ज़िन्दगीके सौदोंमें नुक़सान बहुत हैं l
बहुत ग़जबका नज़ारा हैं इस अजीबसी दुनियाका,
लोग सबकुछ बटोरनेमें लगे हैं खाली हाथ जानेके लियेll

4903
नेकियाँ खरीदी हैं हमने,
अपनी शोहरतें गिरवी रखकर...
कभी फुर्सतमें मिलना ज़िन्दगी,
तेरा भी हिसाब भी कर देंगे...!

4904
ज़िन्दगीमें सारा झगड़ा ही, 
ख़्वाहिशोंका हैं...
ना तो किसीको गम चाहिए,
ना ही किसीको कम चाहिए...

4905
छीन लिया जब ज़िन्दगीने,
ख़्वाहिशोंको मुझसे,
पैर मेरे ख़ुद--ख़ुद...
चादरके अंदर गये...!

18 October 2019

4896 - 4900 कसौटी रिश्ता ग़ज़ल शौक़ मुनाफ़ा अमीर काँटे कगार मज़ार ज़िन्दगी शायरी


4896
ज़िंदगीकी कसौटीसे,
हर रिश्ता गुज़र गया;
कुछ निकले खरे सोनेसे,
कुछका पानी उतर गया...

4897
शायरानासी है, ज़िन्दगीकी फ़ज़ा,
आप भी ज़िन्दगीका मजा लीजिये;
मैं ग़ज़ल बन गयी आपके सामने,
शौक़से अब मुझे गुनगुना लीजिये...

4898
बिन मेरे रह ही जायेगी,
कोई कोई कमी;
तुम ज़िन्दगीको,
जितनी मर्जी सवाँर लो...

4899
कुछ रिश्ते​,
मुनाफ़ा नहीं देते...
मगर​,
ज़िन्दगीको,
अमीर बना देते हैं...!
4900
ज़िन्दगी सारी गुज़र गई,
काँटोकी कगारपर फराज...
और फूलोंने मचाई हैं,
भीड हमारी मज़ारपर.......!

4891 - 4895 जहर याद साँसे शौक हकीकतें वक़्त आग चाह ज़िन्दगी शायरी


4891
अजीबसा जहर हैं,
तेरी यादोंमें...
मरते मरते मुझे,
सारी ज़िन्दगी लगेगी...!

4892
जो शख्स किसीपे मरा नहीं...
उसने सिर्फ़ साँसे ली,
ज़िन्दगीको जिया नहीं...!

4893
मीठेका शौक इसलिए भी रखते हैं,
क्योकि...
ज़िन्दगीकी हकीकतें कड़वी बहुत हैं।।

4894
उन्होंने वक़्त समझकर,
गुज़ार दिया हमको...
और हम,
उनको ज़िन्दगी समझकर,
आज भी जी रहे हैं.......

4895
मैने माँगा था थोड़ासा उजाला,
अपनी ज़िन्दगीमें...
चाहने वालोने तो,
आग ही लगा दी...!

16 October 2019

4886 - 4890 कोशिशें अदाएं ज़ालिम वक़्त दुआ काफिला उलझन साँस बात मुकद्दर ज़िन्दगी शायरी


4886
मेरी सब कोशिशें नाकाम थी,
उनको मनाने कि...
कहाँ सीखीं है ज़ालिमने,
अदाएं रूठ जाने कि...!

4887
मत कर मुझे भूलनेकी,
नाकाम कोशिशें...
तेरा यूँ हारना,
मुझे मंजूर नहीं है...

4888
ना डरा मुझे वक़्त,
नाकाम होगी तेरी हर कोशिशें;
ज़िन्दगीके मैदानमें खड़ा हूँ,
दुआओंका काफिला लेकर...

4889
यूँ तो उलझे है,
सभी अपनी उलझनोंमें;
पर सुलझाने की कोशिश,
हमेशा होनी चाहिए...

4890
तू जिंदगीको जी,
उसे समझनेकी कोशिश ना कर।
चलते वक़्तके साथ तू भी चल,
वक़्तको बदलनेकी कोशिश ना कर।
दिल खोलकर साँस ले,
अंदर ही अंदर घुटनेकी कोशिश ना कर।
कुछ बाते मुकद्दरपे छोड़ दे,
सब कुछ खुद सुलझानेकी कोशिश ना कर।