21 December 2019

5211 - 5215 प्यार दुनिया तन्हा शराब क़दम चहेरे दुआ खुश दर्द एहसास महफ़िल शायरी


5211
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िलमें,
पर पीऊंगा नहीं...
मेरा ग़म मिटा दे,
इतना शराबमें दम नहीं...!

5212
हम तो आज भी,
अपने हुनर में दम रखते हैं...
उड़ जाते हैं रंग लोगोंके जब,
हम महफ़िमें क़दम रखते हैं...!

5213
बस एक चहेरेने,
तन्हा कर दिया हमें...
वरना हम खुद भी,
एक महफ़िल हुआ करते थे कभी...!

5214
महफ़ि थी दुआओं की,
तो मैंने भी एक दुआ मांग ली...
मेरे अपने सदा खुश रहें,
मेरे साथ भी मेरे बाद भी...!

5215
भरी महफ़िलमें तन्हा,
मुझे रहना सिखा दिया l
तेरे प्यार ने दुनियाको,
झूठा कहना सिखा दिया l
किसी दर्द या ख़ुशीका,
एहसास नहीं है अब तो l
सब कुछ ज़िन्दगीने,
चुपचाप सहना सिखा दिया ll

20 December 2019

5206 - 5210 दिल इश्क फरेब सच जख्म गुनहगार क़ातिल कत्ल ख्वाहिश उम्र जिंदगी महफ़िल शायरी


5206
फरेबकी महफ़िल थी,
और मै सच बोल बैठा...
नमक के शहरमें,
अपने जख्म खोल बैठा...

5207
मुझे भी शामिल करो,
गुनहगारों की महफ़िलमें...
मैं भी क़ातिल हूँ,
मैंने भी अपनी ख्वाहिशोंको मारा है...

5208
महफ़िल में चल रही थी,
हमारे कत्ल की तैयारी;
हम पहुँचे तो बोलें,
बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी...

5209
शायर तो पहलेसेही था,
रात और दिन कभी देखा नही...
जिंदगीकी बोझ से मुख्तलिफ होकर,
कभी महफ़िल सजाई कभी तनहाई...

5210
खूब कमाल करते है,
इश्क करनेवाले भी...
महफ़िल में चर्चे अजनबीके करते है,
और दिलमे पर्चे अपने महबूबके पढ़ते है...

19 December 2019

5201 - 5205 मंजर इश्क याद चाहत अल्फ़ाज़ दर्द बेरुखी आँख किताब महफ़िल शायरी


5201
तुम्हारी याद तुम्हारी चाहत,
शायरीके अल्फ़ाज़ बन गये...
भरी महफ़िलमें भी लोग,
मेरे दर्दको वाह - वाह कह गये...!

5202
भरी महफ़िलमें पूछा गया,
इश्क क्या है...
लोग किताबोंमें ढूंदने लगे,
और हमारी नजर तुमपर जा टिकी...!

5203
ना ये महफ़िल अजीब है, ना ये मंजर अजीब है;
जो उसने चलाया, वो खंजर अजीब है;
ना डूबने देता है, ना उबरने देता है;
उसकी आँखोंका वो समंदर अजीब है...!

5204
हजारो महफ़िल है,
लाखोके मेले हैं...
पर जहाँ तू नहीं वहाँ,
हम बिल्कुल अकेले हैं...

5205
देखी है बेरुखीकी,
आज हमने इन्तेहाँ...
हमपे नजर पड़ी तो,
वो महफ़िलसे उठ गए...

18 December 2019

5196 - 5200 बेवजह बेहिसाब दुश्मन बुराई रिश्ते मुकाबला जवाब लिबास शौक़ कफ़न वक़्त शायरी


5196
बेवक़्त, ...
मुस्कुरा देता हूँ;
आधे दुश्मनो को तो,
यूँ ही हरा देता हूँ.......!

5197
खुदकी तरक्कीमें इतना,
समय लगा दो...
की किसीकी बुराई,
का क़्त ही ना मिले...!

5198
अगर वो याद नही करते,
तो आप कर लीजिए...
रिश्ते निभाते वक़्त,
मुकाबला नही किया जाता...!

5199
जब वक़्त जवाब देता है...
गवाहो की जरूरत नहीं होती है...

5200
जो लिबासोको बदलनेका,
शौक़ रखते थे कभी
आख़री वक़्त कह पाए कि,
ये कफ़न ठीक नही ।।

17 December 2019

5191 - 5195 इज़ाज़त फुर्सत याद रिश्ते बाते वक़्त शायरी


5191
इज़ाज़त हो तो लिफाफेमें रखकर,
कुछ वक़्त भेज दूं...
सुना हैं कुछ लोगोंको फुर्सत नहीं हैं,
अपनोंको याद करने की.......!

5192
दवाईयाँ वक़्तपर,
मिलती नही;
और रिश्ते वक़्त-वक़्त पर,
चोट देते रहते हैं.......

5193
कभी मिल जाए कहीं वो कारीगर,
तो मिलाना ज़रूर...
जिसने घड़ी बनायी उसे,
वक़्त रोकना भी आता होगा.......

5194
कुछ रिश्तें...
सिर्फ़ एक ही चीज़ माँगते हैं,
और वो हैं "वक़्त"...!!!

5195
किसीने क्या खूब लिखा हैं...
वक़्त निकालकर,
बाते कर लिया करो अपनोंसे;
अगर अपने ही रहेंगे,
तो वक़्तका क्या करोगे.......?

16 December 2019

5186 - 5190 सुकून ताल्लुक साजिश मसरूफ तोहफ़े रिश्ते बाते समय वक़्त शायरी


5186
तु मिले, ना मिले,
वक़्तकी बात है...
सुकून बहोत मिलता है,
तुम्हे सोचकर.......!

5187
ना कमजोर हुआ मेरा तुमसे ताल्लुक,
ना कही और हुए सिलसिले मजबूत...
ये वक़्तकी साजिश है;
कभी तुम मसरूफ, तो कभी हम मसरूफ...

5188
मुझे महँगे तोहफ़े बहुत पसंद है...
अगली बार यूँ करना...
ज़रासा वक़्त ले आना.......!

5189
किसी रिश्तेमें निखार,
सिर्फ अच्छे समयमें हाथ मिलानेसे नहीं आता;
बल्कि...
नाज़ुक समयमें हाथ थामनेसे आता है...!

5190
सच्चाई के इस जंगमें,
कभी झूठे भी जीत जाते है...
समय अपना अच्छा हो तो,
कभी अपने भी बिक जाते है...

15 December 2019

5181 - 5185 हालात जिदंगी परख ज़ुर्रत चेहरे याद दुनिया नफरत वक़्त शायरी


5181
हालात है, वक़्त है,
या खुदा है.......
ये रह-रह के मुझे,
परखता कौन हैं...?

5182
करो ज़ुर्रत,
किसीके वक़्तपर हंसनेकी...
ये वक़्त है जनाब,
चेहरे याद रखता है...

5183
मैने वक़्तसे दोस्ती कर ली...
सुना है, ये अच्छे अच्छोंको
बदल देता है.......

5184
किसीने पूछा,
इस दुनियामें आपका अपना कौन हैं
मैने हंसकर कहा "वक़्त"

5185
रिश्ते निभानेके लिए,
जिदंगी छोटी पड जाती है...
पर पता नही कूछ लोग नफरतके लिए,
कैसे वक़्त निकाल लेते है.......!

13 December 2019

5176 - 5180 प्यार खशबू फ़िज़ा महक ख्याल याद बहाना जहर वक़्त शायरी


5176
हर वक़्त फ़िज़ाओंमें,
महसूस करोगे तुम...
मैं प्यार की खशबू हूँ,
महकूँगी ज़माने तक...!

5177
घंटो तक उनकी मौजूदगी,
एक तरफ...
जाते वक़्त उनका पलटके देखना,
एक तरफ.......!

5178
हर रोज हर वक़्त,
तेरा ही ख्याल...
ना जाने किस कर्जे की,
किस्त हो तुम.......!

5179
काश तुम भी तुम्हारी,
यादोकी तरह बन जाओ...
वक़्त देखो,  बहाना,
बस चले आओ.......!

5180
पिनेको तो पी जाऊ,
जहर भी उसके हाथोंसे मैं;
पर शर्थ है के गिरते वक़्त,
अपनी बाहो मैं वो संभाले मुझको...!

12 December 2019

5171 - 5175 दिल रिश्ते चेहरे दोस्त दुश्मन साजिश ख्वाहिश झूठ शायरी


5171
जरासा झूठ ही लिख दो,
कि तुम बिन दिल नहीं लगता...
हमारा दिल बहल जाए,
तो तुम फिर से मुकर जाना...!

5172
सचके चेहरेमें,
यहाँ झूठके फसाने देखे;
दुश्मनों को जब गौरसे देखा,
उनमे कई दोस्त पुराने देखे...

5173
कुछ अजीब है ये दुनिया,
यहाँ झूठ नहीं...
सच बोलनेसे,
रिश्ते टूट जाते है.......

5174
झूठ पकडना कितना,
मुश्कील होता है,
सच भी जब साजिशमें,
शामिल होता है...!

5175
सत्यको ख्वाहिश होती है,
कि सब उसे जान ले...
और,
झूठको हमेशा डर लगता है,
कि कोई उसे पहचान ले...

5166 - 5170 खैरियत असर शिकायते यकिन आँखे नजारा लफ़्ज़ खफा झूठ शायरी


5166
कौन कहता है कि,
हम झूठ नही बोलते;
एक बार,
खैरियत तो पूछके देखिये...!

5167
झूठ कहते हैं कि,
संगतका असर होता है...
आज तक ना काँटोंको,
महकनेका सलीका आया,
और ना फूलोंको चुभना आया

5168
अब शिकायते तुम से नहीँ,
खुदसे है...
माना के सारे झूठ तेरे थे,
लेकिन उन पर यकिन तो मेरा था...

5169
आँखे झूठ, नजारा झूठ,
यानी जो है वो सारा झूठ...
हमको आज कहो फ़िर अपना,
बोलो आज दुबारा झूठ......!

5170
झूठ कहूँ तो,
लफ़्ज़ोंका दम घुटता है...
सच कहूँ तो,
लोग खफा हो जाते हैं.......!

11 December 2019

5161 - 5165 प्यार इश्क मोहब्बत ज़िन्दगी राहत अदब नफरतें महफ़िल तमन्ना हंसी शायरी


5161
इश्क करने चला है,
तो कुछ अदब भी सीख लेना;
इसमें हँसते साथ है,
पर रोना अकेले ही पड़ता है...

5162
नफरतें लाख मिलीं, पर मोहब्बत मिली;
ज़िन्दगी बीत गयी, मगर राहत मिली;
तेरी महफ़िलमें, हर एकको हँसता देखा,
एक मैं था जिसे, हँसनेकी इजाज़त मिली...

5163
शामको तेरा हँसके मिलना,
दिन भरकी तनख्वाह है मेरी...!

5164
प्यारसे कहो तो आसमान मांग लो, 
रूठ कर कहो तो मुस्कान मांग लो;
तमन्ना यही है कि यारी मत तोड़ना,
फिर चाहें हँसकर हमारी जान मांग लो...

5165
यूँ ही अपने होंठोंको,
झूठी हंसीसे संभाल लेता हूँ...
अंदरसे इतना टूटा हूँ,
फिरभी खुदपे पर्दा डाल लेता हूँ...