5876
मिटा दे उसकी
तस्वीर,
मेरी आँखोंसे ऐ मेरे
खुदा...
अब तो वो
मुझे,
ख्वाबोंमें
भी अच्छा नहीं
लगता...
5877
गुनहगारोंकी
आँखोंमें,
झूठे ग़ुरूर होते हैं...
यहाँ शर्मिन्दा तो सिर्फ़,
बेक़सूर
होते हैं...
5878
पानी समुन्दरमें हो,
या आँखोंमें...
गहराई और राज,
दोनोंमें
होते हैं...
5879
उलझके आपकी आँखोंमें
करलू खूब बाते,
उलझते आपकी बातोमें
करलू राते सौगाते;
उलझनोंमें
सदा उलझके रहनेकी
आपकी आदतें,
सुलझाए कैसे बस
इसी उलझनमें कटती
हैं राते बरबादे l
भाग्यश्री
5880
वाकई बड़े मज़ेदार
हो तुम,
एक सीमित साझ़ेदार हो
तुम;
तुम्हारी
हर बात सरआँखोंपर
कहते हो,
पर मुकम्मल वही करते
हो जो तुम्हे
फायदेमंद हो l
भाग्यश्री