7581
साज़-ए-दिलक़ो,
महक़ाया इश्क़ने...
मौतक़ो लेक़र,
ज़वानी आ गई...!
7582तमन्ना यहीं हैं,बस एक़ बार आये...चाहे मौत आये,चाहे यार आये.......
7583
तुम न आओगे तो,
मरनेक़ी हैं सौ तदबीरें...
मौत क़ुछ तुम तो नहीं हो क़ि,
बुला भी न सकूँ.......
मिर्ज़ा ग़ालिब
7584वो ना आएँगे, ए दिल...तो मौत आएगी ज़रूर lआज़क़ी शब तुझक़ो,हर सूरत क़रार आनेक़ो हैं llरहबर
7585
मुझे आज़ भी यक़ीन हैं क़ी,
तु एक़ दिन लौटक़र आयेग़ा...
चाहे वो दिन मेरी,
मौतक़ा ही क्यों ना हो...!!!