7 January 2019

3731 - 3735 इश्क खुबसुरत उम्र चाह दुआ यकीन याद नतीजा गहरे हादसे दिल शायरी


3731
कुछ लोग दिलके,
इतने खुबसुरत होते हैं...
कि चाहे वो ना मिले,
पर उम्रभर उन्हे चाहनेको दिल करता हैं...!

3732
जान तक देनेकी,
बात होती हैं यहाँ;
पर यकीन मानिये,
दुआ तक दिलसे हीं देते हैं लोग।।

3733
ये दिल,
कुछ नहीं...
बस तेरी यादोंका...
यतीमखाना हैं.......!

3734
नतीजा एकसा निकला,
दिमाग और दिलका...
की दोनों हार गए,
तुम्हारे इश्कमें.......!

3735
हादसे कुछ दिलपे,
ऐसे हो गयें;
हम समंदरसे भी,
गहरे हो गयें.......!

5 January 2019

3726 - 3730 मोहब्बत सुकून क़रार हसरत तन्हाई मुस्करा आवाज़ रूठा नसीब याद दिल शायरी


3726
सुकून अपने दिलका मैने खो दिया,
खुदको तन्हाईके समंदरमें डुबो दिया; 
जो थी मेरे कभी मुस्करानेकी वजह,
उसकी कमीने मेरी पलकोंको भिगो दिया।

3727
दिल जब टूटता हैं, तो आवाज़ नहीं आती...
हर किसीको दोस्ती रास नहीं आती;
यह तो अपने अपने नसीबकी बात हैं,
कोई भूलता ही नहीं और...
किसीको याद ही नहीं आती.......

3728
मैं नहीं जानता ये मोहब्बत हैं...
या कुछ और...?
बस, तेरी मुस्कुराहट,
से दिलको सूकून मिलता हैं.......!

3729
इक बे-क़रार दिलसे,
मुलाक़ात कीजिए...
जब मिल गए हैं आप,
तो कुछ बात कीजिए...!

3730
एक हसरत थी की,
कभी वो भी हमे मनाये...
पर ये कम्ब्खत दिल,
कभी उनसे रूठा ही नहीं...!

4 January 2019

3721 - 3725 प्यार दुनिया ग़ैर अपने नज़र भरोसा तन्हाई मुस्करा गलती माफ़ दिल शायरी


3721
जब दिल,
ग़ैरोंसे लग जाए तो...
अपनोंमें,
कमियाँ नज़र आने ही लगती हैं...!

3722
उसने कहांभरोसा दिलपर इतना नहीं करते”,
मैने कहांप्यारमें कभी सोचा नहीं करते”;
उसने कहांबहुत कुछ दुनियाके नजरोंमें हैं”,
मैंने कहांजब तुम साथ हो तो हम कुछ और देखा नहीं करते” !

3723
मैं हूँ,
दिल हैं,
तन्हाई हैं, 
तुम भी जो होते,
तो अच्छा होता...।

3724
मेरे दिलसे उसकी,
हर गलती माफ़ हो जाती हैं,
जब वो मुस्कराके पूछती हैं...
"नाराज़ हो क्या"।।

3725
मैं सबका दिल रखता हूँ...
और सुनों...
मैं भी एक दिल रखता हूँ...!

3 January 2019

3716 - 3720 जहाँ तड़प मुश्किल महफ़िल सब्र क़रार आँख क़ातिल दुश्मन दगा खुशबू जख्म दिल शायरी


3716
यूँ हर पल हमें सताया कीजिये,
यूँ हमारे दिलको तड़पाया कीजिये 
क्या पता कल हम हों हों इस जहाँमें...
यूँ नजरें हमसे आप चुराया कीजिये

3717
बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो थी,
जैसी अब हैं तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो थी 
ले गया छीनके कौन आज तेरा सब्र--क़रार,
बेक़रारी तुझे दिल कभी ऐसी तो थी 
उसकी आँखोंने ख़ुदा जाने किया क्या जादू,
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो थी 
चश्म--क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन,
जैसे अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो थी 
बहादुर शाह ज़फ़र

3718
नाम तेरा ऐसे लिख चुके हैं,
अपने वजूदपर...
कि तेरे नामका भी कोई मिल जाए,
तो भी दिल धड़क जाता हैं.......!

3719
जब किसीकी कमीयाँ भी,
अच्छी लगने लगे ना...
तो मान ही लीजिये,
ये दिल दगाबाजी कर गया...!

3720
मेरे आँसुओंसे भी आती हैं खुशबू,
जबसे इन आँखोंमें तुझे बसाया हैं...
जख्म भी मीठे लगते हैं,
जबसे तूने ये मेरा दिल चुराया हैं...!

2 January 2019

3711 - 3715 मुहब्बत प्यार रिश्ते तलाश सँभल बात ज़ेवर तज़ुर्बा उलझन दिल शायरी


3711
रिश्ते कम बनाइये...
लेकिन उन्हे,
दिलसे निभाइये...!
अकसर लोग,
बेहतरकी तलाशमें,
बेहतरीन खो देते हैं.......!!!

3712
आपको जाते हुए देखके,
 सँभलेगा दिल,
उसको बातोंमें लगा लूँ,
तो चले जाईयेगा.......

3713
दिलमें कुछ,
यूँ सँभालता हूँ ग़म...
जैसे ज़ेवर सँभालता हैं कोई...

3714
दिल मेरा तोड़के,
वो खुद भी रोया करते हैं...
ये उलझन हैं कैसी,
क्या वो मुझीसे प्यार करते हैं...!

3715
तज़ुर्बा कहता हैं कि,
मुहब्बतसे किनारा कर लूँ...
और दिल कहता हैं कि,
ये तज़ुर्बा दुबारा कर लूँ...!

1 January 2019

3706 - 3710 ज़िन्दगी इरशाद शिद्दत सफ़र लम्हा सितम खुबसुरत गजल निगाहे दूरियाँ दिल शायरी


3706
झुको वहीं...
जहाँ किसीके दिलमें,
आपको झुकानेकी...
ज़िद हो.......!

3707
दिल खोलकर बड़ी शिद्दतसे,
जी लो इन लम्होको यारो;
ज़िन्दगी अपना इतिहास,
फिर नहीं दोहराएगी...!

3708
ज़िन्दगीका सफ़र,
इतना प्यारा होना चाहिए...
सितम हो फिर भी,
दिल शायराना होना चाहिए...!

3709
खुबसुरत गजल जैसा हैं,
उसका चाँदसा चेहरा...
निगाहे शेर ढ़ती हैं,
तो दिल इरशाद करता हैं...!

3710
दूरियाँ बढ़ाकर,
क्या मिला तुम्हे...
रहते तो आज भी,
मेरे दिलमें हो.......!

31 December 2018

3701 - 3705 साथ वाकीफ लम्बी रात मुलाकात एहसास साल शायरी


3701
किसीको किसीसे,
कम आँकिये साहब...
देखो, दिनोंने मिलकर,
साल बदल दिया.......!

3702
लोग नये सालमें,
बहुत कुछ नया माँगेंगे...
पर मुझे तो वहीं उनका,
पुराना साथ चाहिए.......!

3703
पिछला साल बातोंमें बीत गया,
दुआ करो.......
आने वाला साल मुलाकातोंमें बीते...!

3704
चलो हम कुछ साल पिछे जाए,
फिरसे एक बार...
एक दुसरेमें खो जाए...
देखे शायद वाकीफ हम एक दुसरेको,
पुरी तरहसे समझ पाए.......!
भाग्यश्री

3705
वो पलमें बीते साल लिख़ूँ,
या सदियों लम्बी रात लिख़ूँ...
मैं तुमको अपने पास लिख़ूँ,
या दूरीका एहसास लिख़ूँ.......!

30 December 2018

3696 - 3700 मोहब्बत नफरत तारीख सम्भाल खर्च किराया आख़िरी खत्म संवर साल शायरी


3696
किसी सख़्त पिताकी तरह,
होता है "साल"...
मुट्ठीमें ढेरों तारीखें;
लेकिन खर्च करनेको,
रोज़ एक ही देता हैं...!

3697
काश के कोई मेरा अपना,
सम्भाल ले मुझको;
बहुत थोड़ा रह गया हूँ मैं भी,
इस सालकी तरह.......!

3698
"मोहब्बत" की तरह "नफरत" का भी,
सालमें एक ही दिन तय कर दो कोई
ये रोज़-रोज़की नफरतें,
अब अच्छी नहीं लगतीं...

3699
मेरे दिलमें रहने वालों,
अब तो किराया दे दो...
सालका आख़िरी दिन भी
गया हैं.......!

3700
मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ,
इस सालकी तरह...
तुम मेरे बाद भी संवरते रहना,
नए सालकी तरह.......!

29 December 2018

3691 - 3695 ताजमहल प्यार दस्तक बेईमान इंसान तकलीफ राज़ मक़ान मशवरा अल्फ़ाज़ दिल शायरी


3691
कितना बेईमान हैं,
ये कमबख्त दिल...
धड़का भी तो,
बस तेरीही दस्तकपें...!

3692
प्यारकी आँचसे तो,
पत्थर भी पिघल जाता हैं;
सचे दिलसे साथ दे तो,
नसीब भी बदल जाता हैं;
प्यारकी राहोंपर,
मिल जाए सच्चा हमसफ़र;
तो कितना भी गिरा हुआ इंसान भी,
संभाल जाता हैं.......!

3693
हर तकलीफसे इंसानका,
दिल दुखता बहुत हैं;
पर हर तकलीफसे,
इंसान सीखता भी बहुत हैं...

3694
दिलके राज़ पहुँच गये ग़ैरोंतक...
अपनोसे बस मशवरा किया था.......!

3695
टूटे मक़ान वाला,
दिलमें ताजमहल रखता हूँ;
बात गहरी मगर,
अल्फ़ाज़ सरल रखता हूँ...!

28 December 2018

3686 - 3690 मोहोब्बत खुशबू अजनबी उम्मीद तमन्ना तबाही वाकिफ़ खबर सजा इरादा उजाले दिल शायरी


3686
खुशबू हवाकी चुपकेसे,
कानोंमें कह गई...
पास तो नहीं हो मगर,
दिलमें बसे हो तुम...!

3687
दिल चाहता हैं कि फ़िर,
अजनबी बनकर देखें...
तुम तमन्ना बन जाओ,
हम उम्मीद बनकर देखें...!

3688
मेरे दिलसे निकलनेका,
रास्ता ढूंढ सके तुम...
और कहते थे तुम्हारी,
रग रगसे वाकिफ़ हैं हम...

3689
सारे शहरको इस बातकी
खबर हो गयी...
क्यो ना सजा दे
इस कमबख्त दिलको...
दोस्तीका इरादा था
और मोहोब्बत हो गयी...!

3690
रास्ते खुद ही तबाहीके निकाले हमने,
कर दिया दिल किसी पत्थरके हवाले हमने;
हाँ मालूम हैं क्या चीज़ हैं मोहब्बत यारो...
अपना ही घर जलाकर देखें हैं उजाले हमने।