4041
न तू गिरा, न तेरी उम्मीदोके मिनार गिरे,
पर लोग तुझे
गिरानेमें कई
बार गिरे;
सवाल जहरका
नही था, वो
तो तू पी
गया,
तकलीफ लोगोंको तब
हुई, जब तू
जी गया...!
4042
वो बुलंदियाँ भी किस
कामकी जनाब,
की...
इंसान चढ़े और
इंसानियत गिर जायें.......
4043
याद करके
मुझे,
तकलीफ ही
होती होगी...
एक किस्सा हूँ पुराना
सा,
भुला दे मुझको...
4044
अपने वह नहीं
होते,
जो तस्वीरमें साथ
खड़े हो;
अपने वह होते
हैं,
जो तकलीफमें साथ
खड़े हो...!
4045
ये हौसले भी,
किसी हकीमसे कम नहीं होते हैं...
हर तकलीफको ताक़द बना देते हैं...!