4521
मुद्दतसे
थी,
किसीसे मिलनेकी
चाहत;
ख्वाहिशें दीदारमें,
सब
कुछ गवा
दिया...
4522
किसीने
दी खबर की,
वो आएंगे
रातको...
इतना किया
उजाला की,
घर तक
जला दिया...
4523
खोनेकी
दहशत और,
पानेकी
चाहत न होती...
तो ना
ख़ुदा होता
कोई,
और
न इबादत
होती...!
4524
लाख चाहता
हूँ कि,
तुझे याद
ना करूँ...
मगर इरादा अपनी जगह...!
बेबसी अपनी
जगह.......!!!
4525
सिर्फ वक्त
ही गुजारना हो तो,
किसी औरको आजमा
लेना;
हम तो
चाहत और
मुहब्बत दोनों,
इबादतकी
तरह करते
हैं.......!