26 August 2019

4651 - 4655 दिल याद फिर्याद जिंदगी किस्से उम्र महसूस अल्फ़ाज कमाल बात खामोश शायरी


4651
हर ख़ामोशीमें एक बात होती हैं,
हर दिलमें एक याद होती हैं;
आपको पता हो या ना हो पर...
आपकी ख़ुशीके लिए रोज़ फिर्याद होती हैं !

4652
समेटकर रखे ये कोरे पन्ने,
एक रोज बिखर जाएंगे...
जिंदगी तेरे किस्से खामोश रहकर,
भी बयाँ हो जायेंगे.......!


4653
एक उम्र ग़ुज़ारी हैं हमने,
उनकी ख़ामोशी पढते हुए...
एक उम्र गुज़ार देंगे,
उन्हे महसूस करते हुए...!

4654
मिलो कभी इस ठंडमें,
चायपर कुछ किस्से बूनेंगे...
तुम खामोशीसे कहना,
और हम चुपचाप सुनेंगे...!

4655
ये जो ख़ामोशसे,
अल्फ़ाज लिखे हैं ना;
पढ़ना कभी ध्यानसे,
ये चीखते कमालके हैं...!

24 August 2019

4646 - 4650 रिश्ता मोहताज जिम्मेदारी आहट दर्द जवाब आवाज बात खामोश शायरी


4646
रिश्तोंको शब्दोंका,
मोहताज ना बनाइये...
अगर अपना कोई खामोश हैं तो,
खुद ही आवाज लगाइये...!

4647
बोलूँ,  लिखूँ,
तो ये मत समझना...
कि भूल गए हम,
खामोशियोंने भी,
कुछ जिम्मेदारी ले रखी हैं...


4648
शब्दोंका शोर,
तो कोई भी सुन सकता 
हैं
खामोशियोंकी,
आहट समझो तो कोई बात बने।।

4649
धुंआ दर्द बयाँ करता हैं,
और राख कहानियाँ छोड़ जाती हैं;
कुछ लोगोंकी बातोंमें भी दम नही होता,
और कुछ लोंगोकी खामोशियाँ भी
निशानियां छोड़ जाती हैं.......!

4650
बुद्धिमान व्यक्ति कई बार,
जवाब होते हुए भी पलटकर नही बोलते;
क्योंकि कई बार रिश्तोंको जितानेके लिए,
खामोश रहकर हारना जरूरी होता हैं...!

23 August 2019

4641 - 4645 मोहब्बत लफ्ज़ रुख़्सार शाम सन्नाटा शोर आँख दस्तक रूह खामोश शायरी


4641
"कभी ख़ामोशी बोली उनकी,
कभी शब्द-निःशब्द कर गए...
एक उनके साथ जीनेकी जिद्दमें हम,
कई-कई मर्तबा मर गए...

4642
कोई तो करे शुरू,
रिवाज बातचीतका...
ये ख़ामोशी निगल गयी,
ना जाने "लफ्ज़" कितने...!

4643
तेरे "रुख़्सार" पर ढले हैं,
मेरी "शाम" के "किस्से...
"ख़ामोशी" से "मागी हुई,
"मोहब्बत" की "दुआ" हो तुम...!

4644
मेरी ख़ामोशीमें सन्नाटा भी हैं,
और शोर भी हैं...
मगर तूने देखा ही नहीं,
आँखोंमें कुछ और भी हैं...

4645
दस्तक और आवाज तो,
कानोंके लिए 
हैं;
जो रूहको सुनायी दे,
उसे खामोशी कहते 
हैं...

22 August 2019

4636 - 4640 प्यारे नजरिया ज़िन्दगी तकलीफ बात दीवानगी दीवाने शायरी


4636
दीवानगी मेरी कायम रहेगी,
बस तुम दीवाना बनाते रहना...!

4637
सिर्फ तूने ही कभी,
मुझको अपना समझा...
जमाना तो आज भी मुझे,
तेरा दीवाना कहता हैं.......!

4638
मेरी इस दीवानगीमें,
कुछ कसूर तुम्हारा भी हैं...
तुम इतने प्यारे ना होते,
तो हम भी इतने दीवाने ना होते...!

4639
नजरिया बदलके देख,
हर तरफ नजराने मिलेंगे...
ज़िन्दगी यहाँ तेरी,
तकलीफोंके भी दीवाने मिलेंगे...

4640
हजारो हैं मरे,
अल्फाजके दीवाने...
कोई ख़ामोशी सुननेवाला होता,
तो और बात थी.......!

20 August 2019

4631 - 4635 जिंदगी रिश्ते फर्क नतीजे दगाबाज इत्तेफ़ाक गुस्सा सच्चे मुस्कुरा शायरी


4631
जरा मुस्कुराना भी सीखा दे,
जिंदगी...
रोना तो पैदा होते ही,
सिख लिया था...

4632
मुस्कुराकर देखने और,
देखकर मुस्करानेमें बड़ा फर्क हैं;
नतीजे बदल जाते हैं,
और कभी कभी रिश्ते भी...!

4633
अपनी उदासियोमें,
ढूंढ लेना मुझे।
ये मुस्कुराहटे तो,
दगाबाज होती हैं।।

4634
शब्दोंके इत्तेफ़ाकमें,
यूँ बदलाव करके देख...
"तू देख कर मुस्कुरा,
बस मुस्कुराके देख"...!

4635
जिन्हें गुस्सा आता हैं,
वो लोग सच्चे होते हैंl
मैने झूठोंको अक्सर,
मुस्कुराते हुए देखा हैं...

19 August 2019

4626 - 4630 प्यार आँसू निगाह फ़साना आईना बात लब हंसी रिश्ते चोट मुस्कुरा शायरी


4626
आँसूओको कह दो,
कोई और निगाह ढूंढ ले,
हम तो अंगारोपे भी,
मुस्कुराके चलते हैं...

4627
एक फ़साना सुन गए,
एक कह गए...
हम जो रोये तो,
मुस्कुराकर रह गए...

4628
मुमकिन हैं आईना पूछले,
मुझसे ये एक बात...
हँसते अब भी बहुत हो,
मुस्कुराते क्यूँ नहीँ...?

4629
प्यारका बदला कभी चुका सकेंगे,
चाहकर भी आपको भुला सकेंगे;
तुम ही हो मेरे लबोंकी हंसी,
तुमसे बिछड़े तो फिर मुस्कुरा सकेंगे...

4630
कुछ इसी तरहसे,
रिश्तोंको हम निभाते रहे...
हर बार चोट खाके भी,
ऐसे ही मुस्कुराते रहे...!

4621 - 4625 मुहब्बत गम हकीकत राज़ आँख इश्क़ अश्क़ वक़्त बेहिसाब याद ज़ख्म मुस्कुरा शायरी


4621
तु बोले या ना बोले,
तेरे बोलनेका गम नही;
तु एक बार मुस्कुरा दे,
सौ बार बोलनेसे कम नही...

4622
तुम आसपास मेहसुस होती हो,
तो मुस्कुराता हूँ...!
और फिर हकीकतसे,
हार जाता हूँ.......!!!

4623
राज़ मुहब्बतका,
छुपा रहा हैं कोई...
हैं श्क़ आँखोंमें और,
मुस्कुरा रहा हैं कोई...

4624
किसीने हमसे कहा,
इश्क़ धीमा ज़हर हैं...
हमने मुस्कुराके कहा,
हमें भी जल्दी नहीं हैं...!

4625
वक़्त, बेवक़्त, बेहिसाब,
याद आता हैं कौई...
यूँ ज़ख्म मुझे देके,
मुस्कुराता हैं कौई...!

17 August 2019

4616 - 4620 आँख मोहब्बत दीवानें नजरे लफ्ज शक्ल उम्र हालात उम्र आईना शायरी


4616
जबसे देखा हैं तेरी आँखोंमे,
कोई भी आईना सच्चा नहीं लगता...
तेरी मोहब्बतमे ऐसे हुए दीवानें,
तुम्हें कोई और देखें अच्छा नहीं लगता...!

4617
आईना उससे छीन लाया हूँ...
खुदको नजरे लगाती रहती हैं हरदम.......

4618
आईना फैला रहा हैं,
खुदफरेबीका ये मर्ज...
हर किसीसे कह रहा हैं,
आपसा कोई नहीं...।

4619
लफ्ज ही होते हैं,
इंसानका आईना...
शक्लका क्या हैं,
वो तो उम्र और हालातके साथ...
अक्सर बदल जाती हैं...!

4620
घरका आईना भी,
हक़ ज़ता रहा हैं...
ख़ुद तो वैसा ही हैं,
उम्र मेरी बता रहा हैं...!

16 August 2019

4611 - 4615 दिल दुनिया दिवाने खबर फ़ितरत गुनाह अंदाज आवाज आसमाँ आईना शायरी


4611
यहाँ हर कोई रखता हैं खबर,
गैरोंके गुनाहोंकी...
अजीब फ़ितरत हैं,
कोई आईना हीं रखता...।

4612
आईना और दिल,
वैसे तो दोनो ही बडे नाज़ुक होते हैं...
लेकिन, आईनेमें तो सभी दिखते हैं,
और दिलमें सिर्फ अपने दिखते हैं...!

4613
अंदाज शायराना,
बेशक हैं हमारा भी, लेकिन...
हर दफा टूटनेकी आवाज हो,
वो आईना भी नहीं हैं हम.......

4614
एक आईना और एक मैं,
इस दुनियामें तेरे दिवाने दो...

4615
मत पूछिये हमसे,
हद्द हमारी गुस्ताख़ियोंकी...
रखकर ज़मींपे आईना,
आसमाँ कुचल देते हैं...!

15 August 2019

4606 - 4610 दिल उम्र बदन भूल घाव डर बेजान जिस्म मरहम जख्म शायरी


4606
जख्म खुद बता देंगे की,
तीर किसने मारा हैं...
हम कहाँ कहते हैं कि,
ये काम तुम्हारा हैं...

4607
कुछ जख्म ऐसे हैं,
कि दिखते नहीं...
मगर ये मत समझिये,
कि दुखते नहीं...!

4608
काफी दिनोंसे,
कोई नया जख्म नहीं मिला...
पता तो करो,
"अपने" हैं कहां...?

4609
बदनके घाव दिखाकर,
जो अपना पेट भरता हैं...
सुना हैं वो भिखारी,
जख्म भर जानेसे डरता हैं !

4610
उम्रभर गालीब,
यहीं भूल करता रहाँ...
जख्म दिलपें था और,
बेजान जिस्मपर मरहम लगाता रहा...!

13 August 2019

4601 - 4605 जिन्दगी क़ाँटे फुल झूठ हँसी जिद्द अजनबी मौजूद नमक जख्म शायरी


4601
तुम क़ाँटोंकी बात करते हो,
हमने तो फुलोंसे भी जख्म पाए हैं;
तुम गैरोंकी बात करते हो,
हमने तो अपने भी आजमाए हैं...

4602
झूठी हँसी ,
जख्म और बढ़ता गया...
इससे बेहतर था,
खुलकर रो लिए होते...

4603
जिन्दगी गुजर रही हैं,
इम्तेहानोंके दौरसे...
एक जख्म भरता नहीं,
और दूसरा आनेकी जिद्द करता हैं...

4604
अजनबी शहरमें किसीने,
पीछेसे पत्थर फेंका हैं...
जख्म कह रहा हैं,
जरुर इस शहरमें कोई अपना मौजूद हैं...

4605
कहाँ जख्म खोल बैठा पगले...
ये शहर हैं नमकका.......!