25 November 2019

5081 - 5085 प्रेम रिश्ते मासूमियत दिल ग़लतफ़हमी आँखे फितरत मज़बूर समझ शायरी


5081
रिश्तेका नूर,
मासूमियतसे हैं...
ज्यादा समझदारियोंमें,
रिश्ते घटने लगतें हैं...!

5082
दिलोंमें बस गये,
जबसे ग़लतफ़हमीके कुछ साये...
ना हम उनको समझ पाये,
ना वो हमको समझ पाये.......

5083
अच्छा सुनो ना.......
जरूरी नही हर बार शब्द ही हो !
कभी ऐसा भी हो,
कि मैं सोचूं...
और तुम समझके वैसा करो...!

5084
आँखे एक ही भाषा,
समझती है प्रेमकी...
मिले तो भी छलकती हैं,
मिले तो भी.......!

5085
मैं दिया हूँ...
मेरी फितरत हैं उजाला करना !
और वो समझते हैं,
मज़बूर हूँ जलनेके लिये.......!

24 November 2019

5076 - 5080 ज़िन्दगी नादान जीवन मुश्किल लफ़्ज़ तजुर्बा उलझन समझ शायरी


5076
कहाँ मिलता हैं,
कभी कोई समझने वाला...
जो भी मिलता हैं,
समझा के चला जाता हैं...

5077
नादान लोग ही,
जीवनका आनंद लेते हैं;
हमने ज्यादा समझदारोंको,
मुश्किलोमे ही देखा हैं...

5078
अब समझ लेते हैं,
मीठे लफ़्ज़की कड़वाहटें...
हो गया है ज़िंदगीका,
तजुर्बा थोड़ा बहुत.......

5079
ज़िन्दगीकी उलझने,
हमारी शरारते कम कर देती हैं;
और लोग समने लगते हैं,
हम समझदार हो गए.......

5080
जायका अलग हैं,
हमारे लफ़्जोका...
कोई समझ नहीं पाता,
कोई भुला नहीं पाता...!

22 November 2019

5071 - 5075 ज़िन्दगी जज़्बात रिश्ता खूबसूरत सज़ा गुनाह मतलब समझ शायरी


5071
कम ही होते हैं,
जज़्बातोंको समझने वाले;
इसलिए शायद,
शायरोंकी बस्तियाँ नहीं होती...!

5072
अच्छे रिश्तोंको वादे और,
शर्तोंकी जरूरत नहीं होती...
बस दो खूबसूरत लोग,
एक निभा सके दूसरा समझ सके...!

5073
मरने वालेको रोने वाले,
हजार मिल जायेंगे मगर...
जो जिंदा हैं उसे समझनेवाला,
एक भी नही मीलता.......

5074
ऐसे ही गुज़ार ली ज़िन्दगी मैने,
कभी खुदा कि रज़ा समझकर...
तो कभी अपने गुनाहोंकी,
सज़ा समझकर...


5075
यूँ असर डाला हैं,
मतलबी लोगोंने दुनियापर...
हाल भी पूछो तो,
लोग समझते हैं कि कोई काम होगा...!

5066 - 5070 दिल दर्द ज़िन्दगी तलाश मुहोब्बत गुस्सा जिक्र वक्त तस्वीर दिवाना समझ शायरी


5066
तलाश कर मेरी कमीको,
अपने दिलमें...
दर्द हो तो समझ लेना की,
मुहोब्बत अभी बाकी हैं.......!

5067
तुम कभी कभी,
गुस्सा कर लिया करो मुझसे;
यकीन हो जाता हैं की,
अपना तो समझते हो...!

5068
मान लिया हैं मैंने,
नही आता मुझे मोहब्बत जताना...
नादाँ तो तुम भी नही,
समझ सको शायरियों में...
जिक्र तुम्हारा.......!

5069
मुझे परखनेमें तुमने,
पूरी जिंदगी लगा दी...
काश,
कुछ वक्त समझनेमें लगाया होता...!

5070
रास्तेमें एक हसीनाकी,
तस्वीरके टुकड़े बिखरे मिले...
लगता हैं आज फिर कोई इक,
दिवाना समझदार हो गया.......!

20 November 2019

5061 - 5065 दिल खुशी गम प्रेम बात रिश्ता तजुर्बा नज़र आँख मुश्कील जवाब जज़्बात शायरी


5061
तेरे पास आकर,
खुशीसे फूल जाती हूँ;
गम चाहे कैसा भी हो,
आकर भूल जाती हूँ;
बताने बात जो आऊँ,
वही मैं भूल जाती हूँ;
खुशी इतनी मिलती हैं,
कि माँगना भी भूल जाती हूँ !!!

5062
प्रेमसे रहो यारों,
जरासी बातपे रूठा नहीं करते...
पत्ते वहीं सुन्दर दिखते हैं,
जो शाखसे टूटा नही करते...!

5063
मिठास रिश्तोंकी बढ़े,
तो कोई बात बने...
मिठाईयां तो,
मीठी ही बनती हैं...!

5064
जिंदगीका तजुर्बा तो नहीं,
पर इतना मालूम हैं...
छोटा आदमी बड़े मौकेपर,
काम जाता हैं...
और.......
बड़ा आदमी छोटीसी बातपर,
औकात दिखा जाता हैं.......

5065
कोई नज़रोसे इशारा कर लेता हैं,
कोई आँखोसे कुछ कह देता हैं...
बड़ा ही मुश्कील हो जाता हैं जवाब देना,
जब कोई जज़्बातसे बात कर लेता हैं...!

19 November 2019

5056 - 5060 प्यार बात बचपन तरक्की ताल्लुक़ात इंसानियत शायरी


5056
मैं गया था ये सोचकर,
बात बचपनकी होगी...
और वो सब मुझे,
अपनी तरक्की सुनाने लगे...

5057
यूँही छोटीसी बातपर,
ताल्लुक़ात बिगड़ जाते है...
मुद्दा होता है "सही क्या" है,
और लोग "सही कौन" पर
उलझ जाते है.......

5058
रोटीका कोई धर्म नहीं होता,
पानीकी कोई जात नहीं होती;
जहाँ इंसानियत जिन्दा है वहाँ मजहबकी,
कोई बात नहीं होती.......

5059
प्यार देनेसे बेटा बिगड़े,
भेद देने से नारी...
लोभ देनेसे नोकर बिगड़े,
धोखा देनेसे यारी...

5060
कभी पीठ पीछे आपकी बात चले,
तो घबराना मत;
बात तो उन्हींकी होती है,
जिनमें कोई बात होती है.......!

18 November 2019

5051 - 5055 मोहब्बत नाराज नींद फसाने बेखबर महफिल उल्फ़त दिल्लगी बात शायरी


5051
एक बात मेरी समझमें नहीं आती...
तुम जब भी नाराज हो जाते हो,
तो ये नींद कहा खो जाती हैं.......!

5052
फसानेकी बात जमानेके खबर,
ना करो ऐसे हमे बेखबर;
महफिल तो हंम बनाते जायेंगे बस,
आप आगे और हम पिछे पिछे...

5053
उल्फ़तकी बात है हूज़ूर,
सलीक़ेसे कीजिये...
महज़ फ़रवरीकी दिल्लगी,
मोहब्बत नहीं हुआ करती...

5054
हाथपर हाथ रखा उसने,
तो मालूम हुआ...
अनकही बातको,
किस तरह सुना जाता है...!

5055
उफ्फ्फ्फ्फ्फ... क्या बात है तुममें ऐसी,
इतनें अच्छे क्यों लगते हो...!
जाने क्या क्या कहते है लोग,
मगर तुम मुझे अपने लगते हो...!!!

5046 - 5050 दिल शर्त ज़िद रिश्ता सुंदर सादगी खुशबू महक बंदगी मुलाकात बात शायरी


5046
किसीमें कोई कमी दिखाई दे,
तो उससे बात करें;
मगर हर किसीमें कमी दिखाई दे,
तो खुदसे बात करें...!

5047
शीशा और पत्थर संग संग रहे,
तो बात नही घबरानेकी...
शर्त इतनी है कि बस,
दोनों ज़िद ना करें टकरानेकी...!

5048
ज़रा ज़रा सी बातपर,
रिश्तोंको मत तोडीये...
सात अरबकी भीड़में,
सात लोग तो जोड़ीये...!

5049
"बातचीत"
यूँ तो शब्द ही है...
पर की जाए तो,
दिलोके कई मैल धुल जाते हैं...

5050
सुंदरता हो हो,
सादगी होनी चाहिए;
खुशबू हो हो,
महक होनी चाहिए;
रिश्ता हो हो,
बंदगी होनी चाहिए;
मुलाकात हो हो,
बात होनी चाहिए...!

17 November 2019

5041 - 5045 रंग जुदाई मोहब्बत नफ़रत किरदार अंदाज रवैये बात शायरी


5041
एक ही बात,
सीखती हूँ मैं रंगोंसे...
ग़र निखरना है तो,
बिखरना ज़रूरी है...!

5042
अब अगर मेल नहीं है,
तो जुदाई भी नहीं...
बात तोड़ी भी नहीं तुमने,
तो बनाई भी नहीं.......

5043
इसी बातने उसे,
शकमें डाल दिया हो शायद...
इतनी मोहब्बत, उफ्फ...
कोई मतलबी ही होगा...!

5044
नफ़रत हो जायेगी तुझे,
अपने ही किरदारसे...
अगर मैं तेरे ही अंदाजमें,
तुझसे बात करुं.......

5045
बात करते करते गुम हो जाना तो,
कोई आपसे सिखे;
इसी रवैयेसे हमपे क्या बिते,
बस के एक बार तो देखे...!
                                          भाग्यश्री

15 November 2019

5036 - 5040 शौक नजरे वजह सजा नादांन मोहब्बत बात शायरी


5036
नही रहा जाता उनके बिना,
इसीलिए उनसे बात करते है...
वरना हमे भी कोई शौक नही,
है उन्हें यूँ सतानेका.......!

5037
ना ही बात करते हो और ना ही,
नजरे उठाकर देखते हो तुम...
बेवजह इतनी सजा दे रहे हो,
मुझे वजह तो बता देते तुम...!

5038
नादांन है बहुत वो,
ज़रा समझाइए उसे...
बात करनेसे,
मोहब्बत कम नहीं होती...!

5039
वो आज मुझसे,
कोई बात कहने वाली है...
मैं डर रहा हूँ के,
ये बात आख़िरी ही हो...

5040
करती है बार बार फोन,
वो ये कहनेके लिए...
"की जाओ,
मुझे तुमसे बात नहीं करनी...!"