5211
मैं बैठूंगा जरूर महफ़िलमें,
पर पीऊंगा नहीं...
मेरा ग़म मिटा
दे,
इतना शराबमें दम नहीं...!
5212
हम तो आज
भी,
अपने हुनर
में दम रखते
हैं...
उड़ जाते हैं
रंग लोगोंके
जब,
हम महफ़िलमें क़दम रखते
हैं...!
5213
बस एक चहेरेने,
तन्हा कर
दिया हमें...
वरना हम खुद
भी,
एक महफ़िल
हुआ करते थे
कभी...!
5214
महफ़िल थी दुआओं
की,
तो मैंने भी एक
दुआ मांग ली...
मेरे अपने सदा
खुश रहें,
मेरे साथ भी
मेरे बाद भी...!
5215
भरी महफ़िलमें तन्हा,
मुझे रहना सिखा
दिया l
तेरे प्यार ने दुनियाको,
झूठा कहना
सिखा दिया l
किसी दर्द या
ख़ुशीका,
एहसास
नहीं है अब
तो l
सब कुछ ज़िन्दगीने,
चुपचाप सहना
सिखा दिया ll