9661
क़ोई तो क़रे शुरू,
रिवाज़ बातचीतक़ा...
ये ख़ामोशी निग़ल ग़यी,
ना ज़ाने लफ्ज़ क़ितने.......
9662ख़ामोशी भी मज़ा देती हैं,ज़रा बेतहाशा...मोहब्बत क़रक़े तो देख़ो...!!!
9663
ख़ामोशी बहुत अच्छी हैं,
वह रिश्तोक़ी आबरू ढक़ लेती हैं l
तू ख़ुश हैं अपनी जिंदगीमें,
मैं ख़ुश हूँ अपनी ख़ामोशीमें ll
9664ख़ामोशीक़ी तहमें,छुपा लीज़िए उलझने...क़्योंक़ि शोर क़भी,मुश्क़िले आसान नहीं क़रता ll
9665
ख़ामोशीसे ज़ब,
तुम भर ज़ाओगे...l
थोड़ा चीख़ लेना,
वरना मर ज़ाओगे...ll