13 October 2016

622 गली आँखें दस्तक दुःख खुशी पहचान दरवाजा बंद गुज़र शायरी


622

Pahechan, Recognition

जब भी उनकी गलीसे गुज़रता हूँ;
मेरी आँखें एक दस्तक दे देती हैं;
दुःख ये नहीं, वो दरवाजा बंद कर देते हैं;
खुशी ये हैं, वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं !

Whenever I pass through her Lane;
My eyes gives a Knock;
I am not upset, As she Closes the Door;
Its a Pleasure that She Recognises me now even ! 

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