26 October 2016

668 ज़िन्दगी मोहब्बत इन्सान चाह भुला बेवफ़ा शायरी


668

Bewafa, Treacherous

किसीको इतना भी चाहो,
कि भुला सको;
क्योंकि,
ज़िन्दगी, इन्सान और मोहब्बत,
तीनों बेवफ़ा हैं !

Not to Love anyone,
That you will not Forget,
Because
Life, Human and Love,
Three are Treacherous !

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