26 October 2016

664 ख्वाब ख़्वाहिश नज़र कैदी शायरी


664

Qaidi, Prisoner 

कैदी हैं सभी यहाँ...
कोई ख्वाबोंका तो कोई ख़्वाहिशोंका...
और मैं तेरी पहली नज़रका...

All are Prisoners here...
Some of Dreams and others are of Wishes...
And me of your First Look...

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