5 October 2016

601 प्यार किस्मत दीदार रूठ मंजूर शहर समझ शायरी


601

Deedar, Vicinity

रूठा रहें मुझसे वो, मंजूर हैं लेकिन,
उसे समझा दो कि वो मेरा शहर ना छोङे,
प्यार तो किस्मतमें नहीं हैं शायद,
कमसे कम उसका दीदार तो होता रहें।

I accept, You Being angry with me, Though,
Do not Leave my city
Help him Understand,
Love is not in my Fate
Although,
At least He will be
in Vicinity.

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