4 October 2016

594 नगमे साज़ महफ़िल दूर पास बुला भुला याद शायरी


594

Yaad, Remember

सभी नगमे साज़में गाये नहीं जाते
सभी लोग महफ़िलमें बुलाये नहीं जाते
कुछ पास रहकर भी याद नहीं आते
कुछ दूर रह कर भी भुलाये नहीं जाते

Not all the Poems are sung with the Rhythm ...
Not all are called in the Gathering ...
Some are not Remembered being very Near ...
Other are not Forgotten being far Apart ...

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