28 October 2016

677 जमाना खराब छोड इन्सान पहचान कोशिश पर्दे नकाब गुनाह जरुरत हिसाब शायरी


677

Parda, Mask

तू छोड दे कोशिशें,
इन्सानोंको पहचाननेकी,
यहॉं जरुरतोंके हिसाबसे
सब नकाब बदलते हैं,
अपने गुनाहोंपर सौ पर्दे,
डालकर हर ख्स कहता हैं...
"जमाना बडा खराब हैं "
Leave the Efforts
To Recognize the Person,
As per the need here,
All changes Mask;
Hiding the Sins under Drapers
Everybody says...
"The World is Bad"

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