6 October 2016

603 ज़िन्दगी बाक़ी जीने बदल शायरी


603

Badal, Change

कितना और बदलूँ ख़ुदको जीनेके लिए,
ज़िन्दगी...
थोड़ासा तो मुझको,
मुझमें बाक़ी रहने दे...

How much I have to Change to live,
Oh my Life...
Let me be little Myself,
Left within me...

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