23 October 2016

662 ज़िंदगी आईना सामने वक़्त ठहर नज़र गुज़र वजूद शायरी


662

Wajood, Existance

मेरे वजूदमें काश तू उतार जाए,
मे देखु आईना तू नज़र आए,
तू हो सामने और वक़्त ठहर जाए,
ये ज़िंदगी तुझे यूँ ही देखते हुए गुज़र जाए...

I Hope You Fallout of my Existence,
I look into Mirror and You appear in,
You be in front of me and let the Time stops,
Let the Life pass away staring at you...

No comments:

Post a Comment