13 August 2018

3156 - 3160 प्रेम इश्क प्यार मोहब्बत निर्धन पहेली उदासी इजहार हिस्से आँख हिसाब कर्ज़ मुश्किलें शायरी


3156
प्रेम अबूझ,
प्रेम पहेली;
इश्क निर्धन,
मोहब्बत अकेली.......!

3157
"अपनी उदासीयाँ,
तू मुझे दे दे...
तू मेरे हिस्सेका,
मुस्कुरा लिया कर...! "

3158
हमने तो कर दिया,
इजहारे इश्क सबके सामने...!
अब मसला आपका हैं,
खुलकर कीजिये, या आँखोंसे.......!


3159
मत कर हिसाब,
किसीके प्यारका;
कहीं बादमें तू खुद ही,
कर्ज़दार निकले.......!

3160
अब ढूढ़ रहे हैं वो मुझको,
भूल जानेके तरीके;
खफा होकर उसकी मुश्किलें,
आसान कर दी मैंने.......!

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