6601
सुनो, आँखोंके पास नहीं...
तो न सही...
क़समसे दिलके बहोत,
पास हो तुम.......
6602
उसके साथ रहनेकी,
क़सम थी...
अब दूर हैं,
यही क़सक हैं.......
6603
इस डूबते सूरजकी क़सम,
इस दिलपें;
कोई नाम नहीं लिखा,
तेरे नामके बाद.......!
6604
दिल तुड़वाकर देखो,
क़समसे लिखना क्या...
महफ़िलको
रुलानाभी,
सीख जाओगे.......!
6605
तुम अपना रंज-ओ-ग़म,
अपनी परेशानी मुझे दे दो...
तुम्हें ग़मकी क़सम,
इस दिलकी वीरानी मुझे
दे दो...
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