6611
मैने करवट,
बदलके देखा हैं...
याद तो,
उस तरफ भी आती हैं.......!
6612
बेताब मैं ही
नही,
दर्द-ए-जुदाईकी क़सम;
रोते तुम भी
होंगे,
करवट बदल बदलकर.......
6613
सोचता रहा ये रातभर,
करवट बदल बदलकर...
जानें वो क्यों बदल गया,
मुझको इतना बदलकर...
6614
शाम-ए-ग़म,
करवट बदलताही नहीं...
वक़्त भी ख़ुद्दार
हैं,
तेरे बग़ैर.......
6615
दो गजसे ज़रा ज़्यादा,
जगह देना कब्रमें मुझे...
किसीकी यादमें करवट बदले बिना,
मुझे नींद नहीं
आती.......!
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