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मेहंदी लगानेका जो,
ख़याल आया आपको...
सूखे हुए दरख़्त,
हिनाके हरे हुए.......
हैदर अली
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मेहंदीने
ग़ज़ब,
दोनों तरफ़ आग
लगा दी ;
तलवोंमें
उधर और,
इधर दिलमें
लगी हैं ll
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चुराके मुठ्ठीमें,
दिलको छुपाए बैठे हैं...
बहाना ये हैं कि,
मेहंदी लगाए बैठे हैं...!
क़ैसर देहलवी
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मेहंदी लगाए बैठे
हैं,
कुछ इस अदासे
वो...
मुठ्ठीमें
उनकी दे दे,
कोई दिल निकालके...
रियाज़ ख़ैराबादी
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दोनोंका मिलना मुश्किल हैं,
दोनों हैं मजबूर बहुत...
उसके पाँवमें मेहंदी लगी हैं,
मेरे पाँवमें छाले हैं.......
अमीक़ हनफ़ी
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