6641
चिराग बुझते रहें और,
ख़्वाब जलते रहें...
सिसक सिसकके जिंदगीके,
साँस चलते रहें.......
6642
हर रातको तुम इतना,
याद आते हो
की...
हम भूल गये
हैं;
ये रातें ख़्वाबोंके लिए
होती हैं,
या तुम्हारी यादोंके लिये.......
6643
आ भी जाओ,
मेरी आँखोंके रूबरू, अब तुम...
कितना ख़्वाबोंमें तुझे,
और तलाशा जाए.......
6644
चले आए मेरे
ख़्वाबोंमें,
ये तो ठीक
था; लेकिन...
भरे बाज़ारमें ख़्वाबोंका,
सौदा क्यों किया तुमने...?
6645
ऐ नींद, खारीज कर
मुकम्मल-ए-जुल्म;
परहेज ना होके हमसे ख़्वाबोंमें,
तय हमारी मुलाकातका करले इल्म...
भाग्यश्री
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