31 October 2020

6711 - 6715 मुहब्बत इश्क़ महफ़िल लब साँसे चाहत लकीर हिना मेहँदी शायरी

 

6711
अगर मुहब्बत उनकी,
कमालकी होती...
तो मेरे हाथोंकी मेहँदीभी,
यूँ लाल होती.......!

6712
तेरे हाथोंके मेहँदीका,
रंग गहरा लाल हैं...
क्योंकि मेरे इश्क़का,
चाहत बेमिसाल हैं.......!

6713
अपने हाथोंकी लकीरोंमें,
मुझको बसाले...
ये मुमकिन नहीं तो,
मेहँदीमें मुझको रचाले...

6714
हाथोंकी मेहँदी,
गालोंपर निखर कर आई हैं ;
तेरे लबोंकी लालीने,
यह महफ़िल सजाई हैं ll

6715
मेहँदीका रंग चढ़ा,
ऐसे मेरे हाथोंमें...
जैसे तेरी इश्क़ चढ़ा था,
मेरी साँसोंमें.......!

No comments:

Post a Comment