11 October 2020

6616 - 6620 कहानी रोना मयस्सर नींद शायरी

 
6616
कितना आसान था,
बचपनमें सुलाना हमको...
नींद जाती थी,
परियोंकी कहानी सुनकर...
                          भारत भूषण पन्त

6617
मुद्दतों बअद,
मयस्सर हुआ माँका आँचल..
मुद्दतों बअद हमें,
नींद सुहानी आई.......
इक़बाल अशहर

6618
मत सोना कभी,
किसीके कन्धे परसर रखकर...
जब ये बिछडते हैं तो,
रेशमके तकियेपरभी नींद नहीं आती.......

6619
पेड़को नींद नहीं आती,
जबतक आख़री चिड़िया,
घर नहीं आती.......!

6620
मैं रोना चाहता हूँ,
ख़ूब रोना चाहता हूँ मैं...
फिर उसके बाद गहरी नींद,
सोना चाहता हूँ मैं.......
                         फ़रहत एहसास

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