17 October 2020

6646 - 6650 दिल याद ख़याल ख़बर ग़म इंतिज़ार ज़िक्र जुदाई चैन सो जा सोने दो शायरी

 

6646
कुछ ख़बर हैं तुझे,
चैनसे सोने वाले...
रातभर कौन तिरी,
यादमें बेदार रहा......!
        हिज्र नाज़िम अली ख़ान

6647
गिरां गुज़रने लगा,
दौर-ए-इंतिज़ार मुझे...
ज़रा थपकके सुला दे,
ख़याल-ए-यार मुझे.......!

6648
इक आबला था, सो भी गया,
ख़ार--ग़मसे फट...
तेरी गिरहमें क्या,
दिल--अंदोह-गीं रहा...
                            शाह नसीर

6649
यूँ तो बिछड़के तुझसे,
ना कभी ज़िक्र-ऐ-जुदाईकी हमने...
पर सोकर कटी हैं,
फिर कोई रात कहाँ मुमकिन हैं...

6650
अकेला पा के मुझको,
याद उनकी तो जाती हैं...
मगर फिर लौटकर जाती नहीं,
मैं कैसे सो जाऊँ.......!
                            अनवर मिर्ज़ापुरी

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